बिहार में लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर अपनी ही पार्टी से कई नेताओं ने बगावत कर दी. बागी नेताओं की एक लंबी लिस्ट है. मगर, हम इस ऑर्टिकल में केवल दो नामों के बारे में जानेंगे और समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर इन्होंने बागी रुख क्यों अपनाया और पार्टी लाइन से अलग जाकर चुनावी मैदान में क्यों कूदे?

सबसे पहले बात करते हैं पवन सिंह, जो कभी भारतीय जनता पार्टी का सच्चा सिपाही बताते थे, लेकिन अब उन्होंने बागी रुख अपना लिया है. पवन सिंह को बीजेपी ने बिहार की किसी भी लोकसभा सीट से टिकट नहीं दिया. हालांकि, उन्हें बीजेपी ने आसनसोल से अपना उम्मीदवार बनाया था. मगर पवन सिंह ने पार्टी का टिकट वापस कर दिया था. पवन सिंह को उम्मीद थी कि बीजेपी उन्हें बिहार के किसी भी लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतार सकती है. जब ऐसा होता नहीं दिखाई दिया तो उन्होंने बीजेपी से अलग चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी.

पवन सिंह ने अपने सोशल अकाउंट एक्स पर एक पोस्ट किया. जिसमें उन्होंने लिखा- माता गुरुतरा भूमेरू अर्थात माता इस भूमि से कहीं अधिक भारी होती हैं और मैंने अपनी मां से वादा किया था की मैं इस बार चुनाव लड़ूंगा. मैंने निश्चय किया है कि मैं 2024 का लोकसभा चुनाव काराकाट, बिहार से लड़ूंगा. दरअसल, भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह बिहार से ही चुनाव लड़ना चाहते थे. वह भी खासतौर पर आरा लोकसभा सीट से, लेकिन जब यहां बात नहीं बनी तो उन्हें उम्मीद थी कि बीजेपी राज्य के किसी भी सीट से चुनाव लड़ा सकता है. ऐसा नहीं होता देख बागी होकर पवन सिंह चुनावी मैदान में आ गए.

अब बात करते हैं कांग्रेस नेता पप्पू यादव की, जिन्होंने हाल ही में अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस में किया और कांग्रेसी हो गए. उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी पूर्णिया सीट पर कैंडिडेट बनाएगी. मगर, ऐसा नहीं हुआ. पूर्णिया लोकसभा सीट राजद के खाते में चली गई. राजद से इस सीट पर बीमा भारती चुनावी मैदान में हैं. वहीं, पप्पू यादव लगातार ये कहते रहे कि उन्हें पूर्णिया से ही चुनाव लड़ना है, लेकिन इसका असर ना कांग्रेस पर पड़ा और ना ही राजद पर.

