महेश प्रसाद सिन्हा ने किया देशवासियों से अपील, कहा-‘मतदान करने अवश्य जाएं’

मुजफ्फरपुर के मझौलिया स्थित संतोष कुटी निवासी महेश प्रसाद सिन्हा भारत की जनता से अपील किया की सभी मतदान अवश्य करें। जहां उन्होंने कहा कि भारत की आबादी मिश्रित है जिसमें सभी तबके के लोग हैं। सबकी जरूरतें अलग-अलग हैं। हमारा अनुभव यह रहा है कि मीडिया पुंजीपतिओं के साथ है । प्रचार सामग्री पूंजीभूत व्यवस्था की जरूरत के हिसाब से रहता है। वह शासक की भाषणों को विशेष दर्जा देते हैं। उनकी जरूरत असीमित धन  होती है जो देश के सुखी जीवन के काम नहीं आता है। शासकों को सत्ता हथियाने के लिए धन की आवश्यकता होती हैं। यह धन उनको पूंजीपति ही देते हैं।

तेलंगाना में बुजुर्गों, दिव्यांगों के लिए 'घर पर ही मतदान' शुरू, 26 नवंबर तक होगा पूरातो हर शासक की मजबूरी होती है कि उनकी जरूरतों कै लिए काम करें। मीडिया उन कामों का प्रचार करती हैं जिससे उनको फायदा हुआ है। इसलिए भ्रमित होने की जरूरत नहीं है। जनता अपने लालच का पोषण जरूर करें क्योंकि पार्टियों के पास धन आपका ही है। पर वोट उसे दे जो आपके तबके के व्यक्तिगत हित में काम करें। जाती के आधार पर नहीं। इस देश में दो ही श्रेणी है। शासक और शासित। शासक में राजनीतिक पार्टियां ,पुंजीपति और बड़े व्यवसायी आते हैं। शासित में आम जनता जिसमें बुढ़े बुजुर्ग गरीब मजदूर और किसान जो राष्ट्रीय विकास के स्तंभ है, आते हैं।

पिछले कुछ सालों में एक सच सामने उभर कर सामने आया है कि सत्ता के साथ इतना धन और सुविधा जुड़ा हैं कि इसे पाने के लिए लोगों की अपराधिक मानसिकता भी बन जाती है और जहां से सहायता प्राप्त होती है या जिनकी मदद से सता प्राप्त होती है उसी के हित के लिए शासकीय व्यवस्था काम करने लगती हैं। यह सच्चाई है और इस पर व्यक्ति का कोई नियंत्रण नहीं हो सकता है।


यह फैसला करना पड़ेगा कि देश की व्यवस्था मुट्ठी भर लोगों के हाथों में हो और सरकार उनके  ही हित में  काम करे  या आम जनता कै हित में काम हो । पिछले लगभग १० सालों का आकलन करने से बहुमत की परिकल्पना कारगर नहीं साबित हुई है। अब प्रजातंत्र में भी सुधार की जरूरत है।  प्रजातंत्र के बारे में हमारा विचार था कि बहुमत की सरकार ही सभी तबके के हितो के लिए काम कर सकती  है। इसीलिए एक दल को बहुमत दिया गया था पर ऐसा कुछ  हुआ नहीं बल्कि उल्टे सीधे निर्णय देश को झेलने पड़े थे। इसीलिए संसद में दोनो श्रेणी का , आबादी के अनुपात में भागीदारी होना चाहिए।


चुनाव किसी भी पार्टी के अंतर्गत लगा जाएं पर रिजल्ट आने के बाद जो सबसे बड़ा दल हो वो ही सरकार बनाएं। बहुमत के नाम पर खिचड़ी सरकार की परंपरा समाप्त हो। बाकी सभी सांसदों का एक नया दल बने और विपक्षी दल के हैसियत से बाकी लोगो का स़ंसद में स्थान  निश्चित होना चाहिए। इससे सरकारें पीछे की सरकारों का मान मर्दन नहीं कर पाएगी। इस  के लिए मुख्य न्यायाधीश और मुख्य निर्वाचन आयुक्त को सभी प्रत्याशियों से irrecoverable  प्रतिज्ञा पत्र ले लेना चाहिए कि जीतने के बाद सांसद विधेयक के द्वारा इस सुधार को लाएंगे। इन पदधारिओ को अब देश के हित में आगे आना चाहिए। ऐसे में बहुमत के लिए मतदान करना अभी उचित नहीं है। तो वोट उसे दे जो आपके तबके के सुखी जीवन के लिए काम करें । प्रचार से भ्रमित न हो।

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from Muzaffarpur News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading