मधुबनी. मिथिलांचल अपनी सांस्कृतिक गतिविधियों से हमेशा चर्चा में रहा है. प्राचीन युग से लेकर वर्तमान तक ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जो इस बात का पुख्ता प्रमाण देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव ने किस स्थल पर विद्यापति को अपना वास्तविक रूप दिखाया था? जब विद्यापति को प्यास लगी तो शिव ने अपनी जटा से गंगाजल निकालकर विद्यापति को पिलाया था.

विद्यापति के सेवक थे शिव
इतिहास में इस बात को प्रमाणित किया जाता रहा है कि विद्यापति के सेवक बनकर शिव मिथिला की धरती पर आए थे. स्थानीय विद्वानों की मानें तो विद्यापति शिव के बड़े भक्त थे, विद्यापति के पिता भी शिवभक्त थे और ज्योतिषी भी हुआ करते थे इसलिए विद्यापति की रुचि भी इन कामों में बढ़ती गई. शिव के प्रति असाध्य प्रेम को देखते हुए लोग भी उनसे कहा करते थे कि एक ना एक दिन महादेव आपको दर्शन जरूर देंगे. फिर एक वक्त ऐसा भी आया जब शिव ने विद्यापति को दर्शन भी दिया और उनके यहां चाकरी भी की.

प्यास लगने पर पिलाया था गंगाजल
इसी कहानी में जब विद्यापति के पास भगवान शिव अपने वास्तविक रूप को छोड़कर एक नौकर की भूमिका में पहुंचे तो एक दिन विद्यापति ने उन्हें पानी पिलाने के लिए कहा. चूंकि दोनों वन की और थे और वहां कहीं पानी उपलब्ध नहीं था ऐसे में विद्यापति को प्यासा देखकर भगवान शिव ने स्वयं अपनी जटा से गंगाजल निकाला और विद्यापति को अर्पित कर दिया. विद्यापति पानी पीते ही यह आभास कर चुके थे कि यह गंगाजल है, ऐसे में उन्होंने शिव से कई बार पूछा. अंत में शिव ने अपना वास्तविक रूप दिखाया और विद्यापति हैरान हो गए.

मधुबनी में स्थित है यह जगह
जिस स्थल पर शिव ने विद्यापति को गंगाजल पिलाया उसे आज के समय में भगवतीपुर गांव के नाम से जाना जाता है. यह गांव मधुबनी जिले के पंडौल प्रखंड में स्थित है. यहां अब उस स्थल पर ग्रामीणों के द्वारा कुएं का निर्माण कराया जा चुका है. हजारों की तादाद में रोज भक्त पहुंचते हैं और उसे गंगाजल समझ कर पीते भी हैं और भगवान शिव को भी अर्पित करते हैं.







