बिहार में लोकसभा चुनाव के सातवें और आखिरी चरण की आठ सीटों पर चुनाव प्रचार बंद होने में दो दिन बचे हैं। बीजेपी और कांग्रेस के बड़े नेताओं की सभाएं मोटा-मोटी खत्म लग रही हैं। आज दोनों पार्टियों का कोई बड़ा नेता बिहार नहीं आ रहा है। गुरुवार को आखिरी दिन भी किसी बड़े नेता के कार्यक्रम की अब तक कोई खबर नहीं है। अगर 28 मई तक के प्रचार को आधार बनाकर देखें तो बीजेपी के बड़े नेताओं ने कांग्रेस के बड़े नेताओं के मुकाबले 6 गुना ज्यादा सभा और रैलियां की हैं।
गठबंधन के दूसरे दलों के कैंडिडेट के प्रचार में कांग्रेस का रिकॉर्ड और भी खराब है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के अलावा बीजेपी की टॉप लीडरशिप ने बिहार में 52 सभाएं की हैं जिसमें 20 सभा तो सहयोगी दल जेडीयू, हम, लोजपा और रालोमो के लिए हुए। वहीं कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने 9 सभाओं में मात्र 2 सभा सहयोगी आरजेडी और सीपीआई-माले के लिए की।

इंडिया अलायंस में गठबंधन धर्म-कर्म निभाने का जिम्मा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव के कंधे पर है। राहुल गांधी ने भागलपुर में एक रैली 20 अप्रैल को कांग्रेस के लिए की और फिर दूसरी बार 27 मई को तीन रैलियां करने आए। राहुल ने इस बार पटना साहिब में कांग्रेस, पाटलिपुत्र में आरजेडी और आरा में सीपीआई-एमएल के लिए वोट मांगा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तीन बार आए और सिर्फ कांग्रेस की सीट किशनगंज, कटिहार, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर और सासाराम में कुल पांच रैलियां की। कांग्रेस के लिए देश भर में घूम रहीं प्रियंका गांधी बिहार नहीं आईं।

एनडीए कैंप में बीजेपी ने सारे बड़े नेताओं को बिहार में खूब घुमाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की बिहार में अब तक 52 सभाएं हो चुकी हैं। मोदी 25 मई को चुनाव में आठवीं बार बिहार आए और कुल 15 सभाएं की। जेडीयू अध्यक्ष और सीएम नीतीश कुमार, लोजपा-आर अध्यक्ष चिराग पासवान, हम अध्यक्ष जीतनराम मांझी और रालोमो अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा समेत भाजपा के प्रांतीय नेताओं की हर रोज रैलियां अलग।







