मुजफ्फरपुर की विश्व प्रसिद्ध शाही लीची को लगी गर्मी की नजर, किसान परेशान

मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर के एक किसान का कहना है कि हम लोग जो लीची बाहर भेज रहे हैं, उसका गलत रिव्यू आ रहा है. यह पहली बार हुआ है कि हम लोग काफी नुकसान में चल रहे हैं. मार्केट में हमें बिलकुल भी सही भाव नहीं मिल रहा है. अब तो बागान में काम करने वाले मजदूरों को पेमेंट देने में भी समस्या हो रही है. वह तो हल्की-हल्की बारिश हुई है, जिससे थोड़ा सुधार आ रहा है.

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रहे हैं बिहार के लीची किसान - Mongabay हिन्दीकिसानों का कहना है कि इस बार एक तो फसल कम हुई है, ऊपर से जो माल हम लोग भेजते हैं, उसका क्या दाम वहा मिलता है, यह भी हमें पता नहीं चल पाता है. व्यापारी का कहना है कि माल जला हुआ है, इसलिए रेट कम मिलेगा. वहीं 24 टन के रेलवे पार्सल में मुजफ्फरपुर से 1100 पेटी शाही लीची भेजी गई है. इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि लीची की पैदावार कितनी कम हुई है.

एक किसान ने बताया कि जिले में हर साल एक लाख टन की पैदावार होती है. लेकिन इस साल मौसम की मार से 20 टन ही लीची बचा है. इसमें भी फल का साइज छोटा होने के साथ मिठास भी कम है. लीची में लाली भी कम है, जिस कारण किसानों को दूसरे राज्यों में शाही लीची की अधिक कीमत नहीं मिल रही है. भारी नुकसान से सहमे किसान आधे पके और कमजोर क्वालिटी की लीची बेचने और दूसरे प्रदेश भेजने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं, मुजफ्फरपुर की तुलना में पश्चिम बंगाल की शाही लीची पुणे, मुंबई सहित अन्य राज्यों में अधिक कीमत पर बिक रही है.

मुजफ्फरपुर की शाही लीची 1200-1300 रुपए और पश्चिम बंगाल की लीची 2000-2100 रुपए पेटी बिक रही है. कम कीमत मिलने से आर्थिक रुप से किसानों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

 

         

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