अब घर बैठे ऑनलाइन कर सकते हैं पितरों का पिंडदान, बिहार सरकार ने की बड़ी व्यवस्था

गया. इस वर्ष पितृपक्ष मेला 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा. इस अवसर पर गया में पितरों (पूर्वजों) की मोक्ष प्राप्ति के लिए पवित्र फल्गु नदी में पिंडदान की परंपरा शताब्दियों से चली आ रही है. प्रति वर्ष इसको लेकर प्रशासनिक स्तर पर भी बड़ी तैयारियां की जाती हैं.

बदलते दौर में अब वैसे परिजन जो गया आकर पिंडदान नहीं कर सकते हैं इनके लिए भी पिंडदान कराने की व्यवस्था बिहार सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से किया गया है. अब परिजन विदेशों से भी अपने पितरों का पिंडदान करवा सकते हैं और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग उन तक पहुंचाने की व्यस्था रहेगी. इसके लिए उन्हें बहुत ही कम खर्च करना पड़ेगा.

दरअसल, बिहार के गया में हर साल करीब 10 लाख लोग यहां पहुंचते हैं, लेकिन जो गया में आने की स्थिति में नहीं है उनके लिए बिहार पर्यटन निगम ने ई-पिंडदान की व्यवस्था की है. इसके माध्यम से कोई श्रद्धालु घर बैठे भी गया जी में पितरों का पिंडदान कर सकते हैं.

इतना ही नहीं विदेशों में रहने वाले परिजन भी पिंडदान की बुकिंग करवा सकते हैं. इसके लिए बिहार राज्य पर्यटन निगम ने इस साल की पिंडदान के लिए 23000 रुपए का एक पैकेज दिया है.

ई-पिंडदान के इस पैकेज में पिंडदान की सामग्री, पूजन सामग्री, ब्राह्मण का दक्षिणा और अन्य खर्च समाहित है. इसके लिए पर्यटन निगम की वेबसाइट पर ऑनलाइन बुकिंग की जाएगी. ऑनलाइन पिंडदान करने के लिए अमेरिका, रूस, फ्रांस और जर्मनी के लोग बुकिंग कर रहे हैं.

ऑनलाइन बुकिंग के बाद उनके पितरों का पिंडदान पूरे विधि विधान से विष्णु पर मंदिर अक्षय वट और फल्गु नदी के किनारे की जाएगी.

इसका वीडियो रिकॉर्डिंग भी होगा और फिर इसे पेन ड्राइव में श्रद्धालुओं के पते पर डाकिया कुरियर से भेजा जाएगा, ताकि वह जान सके कि उन्होंने अपने पूर्वजों का पिंडदान किया है किया गया है.

डिजिटल पिंडदान की पूरी जानकारी बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम की वेबसाइट पर उपलब्ध है. इस बीच पितृपक्ष मेले को लेकर तैयारी शुरू हो गई है इस साल मेले की शुरुआत 17 सितंबर से हो रही है जो 2 अक्टूबर तक चलेगा. निगम ने पिंडदान का जो पैकेज तैयार किया है, उसमें पिंडदान के शुल्क की 21 हजार 500 रुपये है.

इसके अतिरिक्त 1429 सेवा शुल्क है 5% जीएसटी जोड़कर पूरा शुल्क 23000 निर्धारित किया गया है. ई-पिंडदान ऐप पर सबसे पहले विष्णु पद मंदिर में धार्मिक प्रक्रियाएं कराई जाएंगी, इसके बाद अक्षय वट, फल्गु नदी पिंड बेदी पर कर्मकांड कराया जाएगा.

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