बिहार में बाढ़ का कहर जारी….कमला के बाद रौद्र रूप दिखाने लगी है अधवारा, बागमती लाल निशान के पार

बिहार के 16 जिलों में बाढ़ का कहर जारी है। लगभग 15 लाख की आबादी इसकी चपेट में है। इस बीच उत्तर बिहार के अधिकतर जिलों में बाढ़ का पानी घटा है। लेकिन, स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है। वहीं, दरभंगा जिले में बागमती और अधवारा नदी का जलस्तर गुरुवार को खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया।

बागमती का जलस्तर हायाघाट तथा अधवारा का जलस्तर कमतौल में लाल निशान को पार कर गया। इससे बाढ़ की स्थिति पहले से खराब हो गई है। प्रभावित इलाकों में राहत बचाव कार्य चलाने की मांग की जा रही है।

दोनों नदियों के जलस्तर के बढ़ने का क्रम जारी है। बागमती का जलस्तर बढ़ने से हायाघाट नगर पंचायत के घरारी व नयाटोला में सड़कों पर पानी फैल गया है। इन इलाकों का सड़क संपर्क जिला व प्रखंड मुख्यालय से कट गया है। वहीं, पूर्वी चंपारण के सुगौली में सिकरहना नदी का पानी उतरी सुगांव पंचायत के कुछ इलाकों में फैल गया है।

दूसरी ओर, भागलपुर के पीरपैंती में चौखंडी पुल गुरुवार को बाढ़ की भेंट चढ़ गया। दर्जनों गांवों को प्रखंड मुख्यालय से जोड़ने वाला यह पुल गंगा की बाढ़ में बह गया। 2004-5 में पंचायत समिति निधि से आठ लाख की लगात से पुल बना था। इसके ध्वस्त होने से लगभग 30 हजार की आबादी प्रभावित हुई है।

रौद्र रूप दिखाने लगी अधवारा

कोसी-कमला के बाद अब दरभंगा में बागमती नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। नेपाल से निकलकर हायाघाट में आने वाली बागमती नदी का जलस्तर गुरुवार को बेनीबाद में खतरे के निशान से 1.31 मी. ऊपर दर्ज किया गया। यहां का जलस्तर गुरुवार की सुबह 49.99 मी. दर्ज किया गया जो वर्ष 2004 में रिकॉर्ड अपने उच्चतम जलस्तर से मात्र 02 सेमी नीचे है।

बाढ़ पीड़ितों के लिए अच्छी खबर यह है कि इसका जलस्तर सुबह से ही स्थिर बना हुआ है। यही नदी बिशनपुर में खतरे के निशान से 1.14 मी. नीचे बह रही है, जबकि हायाघाट में यह खतरे के निशान से 54 सेमी नीचे बह रही है। हालांकि बिशनपुर और हायाघाट के जल स्तर में लगातार वृद्धि जारी है। इसी तरह अधवारा नदी साहरघाट (सीतामढ़ी) में खतरे के निशान से 1.78 सेमी ऊपर घटते क्रम में बह रही है। यहां का जलस्तर 57.28 मी दर्ज किया गया है। यही नदी सौलीघाट में खतरे के निशान से 15 सेमी नीचे बढ़ते क्रम में बह रही है। दरभंगा के कमतौल में भी यही नदी खतरे के निशान से 52 सेमी ऊपर बढ़ते क्रम में बह रही है, जबकि एकमीघाट में यही नदी खतरे के निशान से 45 सेमी नीचे बढ़ते क्रम में बह रही है जो आगे जाकर सिरनिया घाट त्रिमुहानी में बागमती में मिलकर आगे करेह के रूप में विकराल रूप धारण किए हुए है। उधर, कमला नदी जयनगर में खतरे के निशान से 95 सोमी नीचे बहते हुए स्थिर बनी हुई है।

झंझारपुर में भी यही नदी अब खतरे के निशान से 22 सेमी नीचे घटते क्रम में बहने लगी है। उधर, बागमती एवं अधवारा नदियों के जलस्तर में जारी वृद्धि के कारण अब घरारी और नया टोला के बाद सिरनिया ढाब टोला भी चारों ओर पानी से घिर गया है। इन तीनों गांवों का सड़क संपर्क भंग है। यहां सरकारी नाव के लिए त्राहिमाम मचा हुआ है। पिछले दो दिनों से यहां आवागमन बाधित है लेकिन यहां अभी तक सरकारी नाव नहीं दी गयी। अंचल प्रशासन की यह व्यवस्था बाढ़ पूर्व तैयारी की पोल खोल रही है। ग्रामीणों का कहना है कि गुरुवार को कर्मचारी गांव में आए थे, लेकिन वे अपने खास आदमी को सरकारी नाव के परिचालन का जिम्मा देने को खोज रहे थे।

दरअसल इस क्षेत्र का घरारी, नयाटोला, सिरनिया और अकराहा दक्षिणी डूब क्षेत्र में बसे हुए गांव हैं जो नए परिसीमन में हायाघाट नगर पंचायत में पड़ते हैं। आपदा जैसे मौके पर इन गांवों में दो शासन चलने लगता है। एक नगर पंचायत का और दूसरा अंचल का। दोनों अपनी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर खेप जाते हैं। इस बाबत पूछने पर मुख्य पार्षद पति सह प्रतिनिधि मो. बसारतुल्लाह का कहना है कि नाव परिचालन की जिम्मेवारी सीओ की है। उनसे हमारी बात हुई है। सीओ ने उन्हें आश्वासन दिया है कि चार सितंबर से घरारी एवं नया टोला में दो-दो सरकारी नाव चलेंगी जबकि सिरनिया में एक नाव चलेगी। अभी वे अपने निजी पैसे से नाव चलवा रहे हैं।

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