एक दशक बाद हो रहे जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में अभी तक 90 में से 87 सीटों के नतीजे आ चुके हैं, जिनमें नेशनल कांफ्रेंस अकेले दम पर 41 सीटें जीतने में सफल रही है। वहीं उसके गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी भी 6 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही है।
इस प्रकार इंडिया गठबंधन जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत के नंबर के पार पहुंच गया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी जम्मू में भी अपनी उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं जीत पाई, वह अभी तक केवल 27 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई है।

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी अपनी सीट बड़गाम से जीत चुके हैं। एक सीट आम आदमी पार्टी के खातों में गई है। चुनावों से पहले निर्दलीय उम्मीदवारों को लेकर चल रही बातचीत भी लगभग सही साबित हो रही है। अभी तक तीन निर्दलीय उम्मीदवार अपनी सीट जीत चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र रैना अपनी सीट नौसेरा 7 हजार वोटों से हार गए हैं।

वहीं पिछली बार भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली पीडीपी केवल तीन सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही। पीडीपी की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने अपनी हार को स्वीकार करते हुए लिखा है कि मैं लोगों के जनादेश को स्वीकार करती हूं। वहीं लोकसभा सदस्य शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद के करीबी पीरजादा फिरदौस अहमद को नौ दौर की मतगणना के बाद केवल 4,499 वोट मिले हैं, जबकि फैयाज को 26,941 वोट मिले हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव से लेकर अभी तक कश्मीर की जनता के लिए काफी कुछ बदल चुका है। 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने 370 हटाकर कश्मीर को एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। परिसीमन के बाद हो रहे पहले चुनाव में सभी पार्टियां आज अपनी जीत का परचम लहराने के लिए बेताब है।


