पड़ोसी के कुत्ते ने काटा तो इलाज के लिए मिलेगा मुआवजा, इंश्योरेंस कंपनियां भरेंगी खर्च

पटना: अगर पड़ोसी का कुत्ता आपको काट लेता है तो आपको इलाज करवाने के लिए टेंशन लेने की जरूरत नहीं है. कुत्ते द्वारा काटे जाने से होने वाली तकलीफ के साथ इलाज में होने वाले खर्च की भरपाई इंश्योरेंस कंपनियां करेंगी. अगर उस कुत्ते के काटने की वजह से आपको कोई गंभीर बीमारी हो जाती है तो उसका हर्जाना भी इंश्योरेंस कंपनियां उठाएंगी.

जैसे वाहन, हेल्थ सहित अन्य चीजों का इंश्योरेंस होता है उसी तरह पालतू जानवरों का भी इंश्योरेंस होता है. इस इंश्योरेंस में थर्ड पार्टी की सुविधा उपलब्ध होती है. इसके तहत किसी को काटना या प्रॉपर्टी का नुकसान पहुंचाना शामिल होता है. इसके अलावा भी पालतू जानवरों का इंश्योरेंस करवाने से मालिक को कई लाभ दिए जाते हैं.

कुत्ते-बिल्लियों के लिए भी इंश्योंरेंस
पटना सहित बिहार के अन्य शहरों में अब पालतू जानवर, जैसे कुत्ते और बिल्ली का इंश्योरेंस भी उपलब्ध है. अब आप अपने पालतू जानवरों के लिए इंश्योरेंस कवर प्राप्त कर सकते हैं, जो ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से लिया जा सकता है. कई प्रमुख इंश्योरेंस कंपनियां इस सुविधा को प्रदान कर रही हैं. इसके तहत आप अपने डॉग या कैट के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं.

इंश्योंरेंस करवाने पर मिलेंगे यह बेनिफिट्स
बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस की बीमा एजेंट तान्या बताती हैं कि हमारी कंपनी पेट्स इंश्योरेंस में कुल 8 बेनिफिट्स देती है. इसमें सर्जरी खर्च, हॉस्पिटल में भर्ती खर्च, मृत्यु के बाद का लाभ, बीमारी कवर, ओपीडी, सहित थर्ड पार्टी नुकसान भी शामिल है. पालतू जानवरों की बीमारियों या चोटों के उपचार के खर्च कंपनी उठती है. इंश्योरेंस से पालतू जानवरों की सुरक्षा भी होती है. दुर्घटना होने या खो जाने पर बीमा मदद करता है. इसके अलावा भी कई सुविधाएं मिलती है.

काटने पर मुआवजे का प्रावधान
पालतू जानवरों का इंश्योरेंस कराने से न सिर्फ इनके बीमार होने पर इलाज में आसानी रहती है, बल्कि किसी व्यक्ति को काटने की स्थिति में मुआवजे का भी प्रावधान है. बीमा एजेंट तान्या की मानें तो अगर इंश्योंरेंस कराने के बाद आपका कुत्ता किसी व्यक्ति को काट लेता है या उसकी किसी भी प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाता है तो उस पीड़ित व्यक्ति को मुआवजा भी मिलेगा. यह रकम दस हजार से लेकर 15 लाख तक हो सकती है.

मुआवजे की राशि इंश्योरेंस के प्रीमियम पर डिपेंड करती है. इसका मतलब यह हुआ कि जब कोई व्यक्ति अपने पेट्स का इंश्योरेंस करवा रहा होता है तो उसको ये ऑप्शन दिया जाता है कि आप थर्ड पार्टी नुकसान के लिए कितना अमाउंट सेट करना चाहते हैं. अगर कोई व्यक्ति 1 लाख सेट करता है तो पीड़ित व्यक्ति हो एक लाख तक का मुआवजा मिल सकता है.

तान्या उदाहरण देकर समझाती है कि अगर कोई पेट्स मालिक इंश्योरेंस करवाते समय थर्ड पार्टी नुकसान के मुआवजे को 01 लाख तक सेट करते हैं तो पीड़ित व्यक्ति के इलाज का खर्च 30 हजार रुपए आ रहा है तो कंपनी उसे 30 हजार रुपए ही देगी. अगर खर्च 2 लाख आता है तो इंश्योरेंस कंपनी 01 लाख रुपए तक ही दे सकती है. उससे ज्यादा नहीं.

 

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