यात्रा दिलाएगी सत्ता! चुनाव से पहले ही घूम लिया बिहार, नीतीश की ‘घोषणा’ और तेजस्वी के ‘वादों’ का कितना असर?

पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सरगर्मी बढ़ने लगी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जहां 38 जिलों की यात्रा में 30000 करोड़ से अधिक की योजनाओं की घोषणा की, जिसमें से 20000 करोड़ कैबिनेट से भी स्वीकृति मिल गई है. वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी अपनी 17 महीने के कार्यकाल के सहारे चुनाव में तीन लोक लुभावन वादे के साथ उतरने वाले हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ भी मानते हैं कि लड़ाई दिलचस्प होगी. जातीय समीकरण इसमें बड़ी भूमिका निभाएगा.

2 महीने तक तमाम जिलों में गए मुख्यमंत्री

23 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रगति यात्रा की शुरुआत की थी. सभी 38 जिले में सीएम ने यात्रा की. लगभग 2 महीने तक चली इस यात्रा में उन्होंने 30000 करोड़ से अधिक की घोषणा की है. हर जिले के लिए मुख्यमंत्री ने कुछ ने कुछ दिया है, इसलिए एनडीए के नेता गदगद हैं. जेडीयू-बीजेपी और तमाम घटक दलों को लगता है कि विधानसभा चुनाव में इसका लाभ होगा.

5 महीने से कार्यकर्ताओं के बीच में तेजस्वी

वहीं, पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी पिछले 5 महीने से अलग-अलग जिलों में जा रहे हैं. जहां वह कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद कार्यक्रम के माध्यम से आरजेडी कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं. इस दौरान न केवल वह फीडबैक लेते हैं, बल्कि कार्यकर्ताओं को टास्क भी देते हैं. उनके इस कार्यक्रम से उनके कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं.

नौकरी को भुनाने में तेजस्वी?
तेजस्वी यादव ने 10 सितंबर को समस्तीपुर से कार्यकर्ता दर्शन और संवाद यात्रा की शुरुआत की थी. अब तो तेजस्वी की भी यात्रा समाप्त हो गई है. प्रगति यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस प्रकार से घोषणा कर रहे हैं, वह महागठबंधन के लिए एक बड़ा चैलेंज है. हालांकि आरजेडी महासचिव रणविजय साहू कहते हैं कि पूरा बिहार जानता है कि अपने 17 महीने के कार्यकाल में डिप्टी सीएम रहते हुए तेजस्वी यादव ने नौकरी की झड़ी लगा दी थी.
क्या कहते हैं जानकार?
राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे का कहना है कि बिहार में लड़ाई तो नीतीश वर्सेस तेजस्वी ही होना है. दोनों अपनी-अपनी तैयारी कर रहे हैं. अब यात्रा समाप्त हो चुकी है तो चुनावी मैदान में भी दोनों आमने-सामने दिखेंगे. उनके मुताबिक हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली जीतने के कारण भले ही एनडीए का मनोबल बढ़ा हुआ हो लेकिन बिहार की बात अलग है. बिहार में सामाजिक समीकरण और मुद्दे अलग हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव को कमतर नहीं आंका जा सकता है. इस लिहाज से दोनों गठबंधन में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है.

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