गजब! मोबाइल चार्ज करने बिहार से नेपाल जाते हैं ग्रामीण, जानिए क्या है वजह

बगहा: बिहार के बगहा जिले का झंडुआ टोला गांव. यहां के ग्रामीण महेंद्र राम रोज एक किलोमीटर का सफर तय कर नेपाल जाते हैं. नेपाल के सुस्ता गांव से मोबाइल चार्ज कर फिर वापस बिहार के बगहा अपने घर वापस लौटते हैं. यह सिलसिला पिछले कई सालों से चल रहा है और गांव का लगभग हर शख्स जिसके पास मोबाइल है, उसे नेपाल जाना पड़ता है. आखिर क्या है इस गांव की कहानी, जानिए.

‘फोन चार्ज करने भारत से नेपाल जाते हैं’

एक तरफ भारत को डिजिटल इंडिया बनाने के दावे हो रहे हैं. वहीं दूसरी ओर बिहार के बगहा के झंडुआ टोला की तस्वीरें कई सवाल खड़े करती हैं. ईटीवी भारत संवाददाता दिलीप जब झंडुआ टोला गांव पहुंचे तो देखा कि कई लोग मोबाइल चार्ज करने के लिए नेपाल की ओर जा रहे हैं.

यहां के लोगों के घरों में नहीं पहुंची बिजली 

ग्रामीणों ने बताया कि आज के दौर में एक दूसरे से बात करने के लिए मोबाइल बहुत जरूरी है, लेकिन उनके गांव में बिजली नहीं है. आज तक उनके गांव में बिजली नहीं पहुंची. ऐसे में मोबाइल यूज करना है तो नेपाल जाना ही होगा.

‘अंधेरे में जीना कैसा लगता होगा, आप समझिए’

वहीं ग्रामीण सुखल राम बताते हैं कि रात में हमारे बच्चे अंधेरा होने के कारण पढ़ नहीं पाते हैं. यही नहीं जंगल क्षेत्र से सटे होने के कारण बाघ, तेंदुआ और जंगली सूअरों का खतरा बना रहता है. बाघ के आतंक के चलते हम शाम को ही घरों में दुबक जाते हैं. ऐसे में अंधेरे में जीवन कैसा लगता होगा, आप समझिए.

’70 बसंत बाद भी नहीं देखी बिजली’

पश्चिम चंपारण के झंडुआ टोला गांव की फूलकुमारी देवी बताती हैं कि 70 वर्ष की उम्र हो गई है. इस बीच सिर्फ एक साल के लिए हमलोगों ने बिजली से घरों को रोशन होते देखा. अब तीन साल से रात अंधेरे और भय के माहौल में बिताने के लिए मजबूर हैं.

एक साल मे ही खराब हो गए प्लांट के उपकरण

पूर्व बीडीसी गुलाब अंसारी बताते हैं कि काफी संघर्ष और मांग के बाद आज से चार वर्ष पूर्व सोलर प्लांट से बिजली सप्लाई शुरू की गई, लेकिन एक वर्ष बाद ही प्लांट के अधिकांश उपकरण खराब हो गए.

200 परिवार वाले इस गांव में अंधेरा कायम है! 

बिहार के पश्चिम चंपारण अंतर्गत इंडो नेपाल सीमा पर अवस्थित ये गांव झंडुआ टोला, बीन टोली और चकदहवा है. इन गांवों में 200 से ज्यादा परिवार बसते हैं. यहां के ग्रामीणों को बिजली के दर्शन आज तक नहीं हुए. हां, एक साल के लिए सोलर प्लांट के चलते रात को रोशनी का दीदार जरूर हुआ, लेकिन अब वह भी सफेद हाथी साबित हो रहा है.

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