मुजफ्फरपुर: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संरक्षक मुकेश सहनी के खिलाफ दाखिल परिवाद को खारिज किए जाने के खिलाफ क्रिमिनल रिवीजन वाद की सुनवाई 22 मार्च को होगी. यह मामला भारतीय सार्थक पार्टी के चुनाव चिह्न के कथित दुरुपयोग से जुड़ा है.

क्या है मामला?: भारतीय सार्थक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुधीर कुमार ओझा ने 18 अप्रैल 2024 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) कोर्ट में परिवाद दायर किया था. इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी और संतोष सहनी ने भारतीय सार्थक पार्टी के चुनाव चिह्न ‘नाव’ का गलत तरीके से उपयोग किया.

महागठबंधन के प्रचार में इस्तेमाल किया ‘नाव’: परिवाद के अनुसार, मुकेश सहनी और संतोष सहनी ने इस चुनाव चिह्न को वापस देने का दबाव बनाया और इनकार करने पर इसे महागठबंधन (INDIA) के प्रचार में इस्तेमाल किया. आरोप है कि तेजस्वी यादव ने भी इस कथित फर्जीवाड़े में सहयोग किया और नाव चिह्न को महागठबंधन के प्रचार-प्रसार में उपयोग किया.

पहले खारिज हुआ था मामला: मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) कोर्ट ने इस परिवाद को खारिज कर दिया था. इसके बाद सुधीर कुमार ओझा ने प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में क्रिमिनल रिवीजन वाद दायर किया, जिसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया है.

22 मार्च को सुनवाई: अब 22 मार्च को इस मामले में अगली सुनवाई होगी. यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला देती है और क्या तेजस्वी यादव व मुकेश सहनी को किसी कानूनी पेंच का सामना करना पड़ सकता है.

बिहार की राजनीति में हलचल: इस मामले से बिहार की सियासत में हलचल मच गई है. लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी महागठबंधन के प्रमुख चेहरे तेजस्वी यादव पर लगे इस आरोप से राजनीति गरमा सकती है.
वहीं, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी, जो खुद को निषाद समुदाय का बड़ा नेता बताते हैं, उनके लिए भी यह मामला मुश्किलें खड़ी कर सकता है.अगली सुनवाई में क्या होगा, इस पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी.