14 मार्च को रंगों का त्योहार होली पूरे देश में हर्ष-उल्लास के साथ मनाया जाएगा. होली हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. इसी बीच हम आपको होली का आध्यात्मिक, सहज मांत्रिक, तांत्रिक और यान्त्रिक महत्व बताने जा रहे हैं.

अहंकार का नाश (प्रह्लाद और होलिका की कथा)
होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है. भक्त प्रह्लाद की भक्ति और होलिका के जलने की कथा हमें सिखाती है कि ईश्वर में अटूट श्रद्धा रखने वाले को कोई नुकसान नहीं पहुंच सकता. ये पर्व हमारी नकारात्मक वृत्तियों और अहंकार को जलाकर आत्मा की शुद्धि का संदेश देती है.

दिव्य रंगों का महत्व
रंगों का उपयोग सुक्ष्म चेतना को जागृत करने और आंतरिक ऊर्जा संतुलित करने में सहायता करता है. लाल, पीला, हरा और नीला रंग विभिन्न चक्रों को सक्रिय करते हैं. जिससे मन और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है.

भक्ति और निस्वार्थ प्रेम का पर्व
भगवान श्रीकृष्ण और राधा की लीलाओं से जुड़े होने के कारण, होली प्रेम, माधुर्य और भक्ति का पर्व भी है. यह हमें अहंकार छोड़कर प्रेम, क्षमा और सौहार्द की भावना अपनाने का संदेश देती है.

होली का सहज मान्त्रिक, यान्त्रिक तांत्रिक महत्व
1. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: होलिका दहन के समय अग्नि में विशेष मंत्रों का उच्चारण करके नकारात्मक ऊर्जा, बाधाओं और बुरी नजर से मुक्ति पाई जा सकती है.

2. सहज तंत्र साधना का प्रभाव: होली की रात कई सहज तांत्रिक भक्त, साधक महाविद्याओं (जैसे बगला,तारा. काली, तारा, श्रीलक्ष्मीनारायण, भुवनेश्वरी, दुर्गा, श्री यंत्र) की साधना करते हैं. यह रात सिद्धियों की प्राप्ति के लिए ज्यादा शक्तिशाली मानी जाती है.
3. सहज गुप्त ग्रहस्थों के लिए तंत्र क्रियाएं: होली की रात को कुछ तांत्रिक साधक विशेष मंत्रों, यंत्रों और तंत्र विधियों के माध्यम से अपने कार्य सिद्ध करने का प्रयास करते हैं. जैसे शत्रु बाधा निवारण, धन प्राप्ति, वशीकरण और रोगों से मुक्ति.
उपासना और साधना के लिए विशेष उपाय
श्री यंत्र या श्री लक्ष्मी नारायण आदि यंत्रों को पूजा में स्थापित करके संबंधित मंत्र का जाप रातभर करना चाहिए. ऐसा करने से भाग्योदय होता है और सोया हुया दुर्भाग्य जागृत होता है.

श्री लक्ष्मीनारायण मंत्र
ॐ ओम् ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ह्लीं क्रीं स्त्रीं ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं श्रीं ह्रीं श्रीं लक्ष्मीनारायणाभ्य. म् नमो नमः
श्रीयंत्र मंत्र
ॐ ओम् ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ह्लीं क्रीं स्त्रीं ॐ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमो नम:
दिव्य श्रीयंत्र मंत्र
“ॐ ओम् ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं क्रीं ह्लीं स्त्रीं ॐ नमो भगवते श्री- निवासाया, महा – विष्णु रुपयाए महा -लक्ष्मी भूमि – साहित श्री वेंकटेश्या ऊँ स्त्रीं हिलीम् क्रीं क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं ऊँ नमो नमः
