पटना: बिहार अपने गौरवशाली अतीत के लिए जाना जाता है. बिहार का अतीत जितना गौरवशाली था, वर्तमान भी गौरवशाली होने के पथ पर है. बिहारी ने दुनिया को अपनी प्रतिभा का लोहा बनवाया है तो विकास के दौड़ में हम अव्वल हैं. दिल्ली की कुर्सी भी बगैर बिहार के हासिल नहीं होती. महान सम्राट अशोक नेवी बिहार को अपनी सत्ता का केंद्र बनाया था.

हर तरफ बिहार दिवस की धूम: 22 मार्च 1912 को बिहार बंगाल से अलग हुआ था और बिहार का अस्तित्व अलग राज्य के रूप में कायम हुआ बिहारी अस्मिता को जगाने के लिए नीतीश सरकार ने बिहार दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत की थी. नीतीश सरकार ने साल 2012 में यह निर्णय लिया था कि बिहार दिवस उत्सव रूप में मनाया जाएगा और तब से लगातार भारत के कोने-कोने में बिहार दिवस मनाया जाता है. अब बिहार दिवस की धूम विदेश तक पहुंच चुकी है.

113 साल का हुआ बिहार: बिहार आज 113 साल का हो चुका है और 113 साल के दौरान बिहार ने कई उतार-चढ़ाव देखे. बिहार ने महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक जेपी जैसे शख्स को देश को दिया तो अतीत में आर्यभट्ट जैसे शख्सियत ने दुनिया को राह दिखाने का काम किया. बिहार ने देश को बाबू वीर कुंवर सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानी दिए, जिन्होंने 80 साल की उम्र में भी अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए.

बिहार ने दुनिया को दिया लोकतंत्र: बिहार के लिच्छवी गणराज्य ने दुनिया में सबसे पहले गणतंत्र की अवधारणा दी. वैशाली में सबसे पहला गणतंत्र स्थापित हुआ था. नालंदा दुनिया का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है. विश्व के कोने-कोने से लोग नालंदा में उच्च शिक्षा लेने आते थे आज एक बार फिर नालंदा अपने गौरवशाली अतीत को हासिल करने के पथ पर आगे बढ़ चला है और कई देशों के छात्र नालंदा में उच्च शिक्षा ले रहे हैं.

मगध साम्राज्य का केंद्र हुआ करता था बिहार: सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर कई सम्राट इस धरती पर आए और अपनी ख्याति बढ़ाई. महान सम्राट अशोक ने राजधानी पटना को अपने शासन प्रशासन का केंद्र बनाया था सम्राट अशोक का राजा प्रसाद आज भी लोगों के जहन में है. कुम्हरार में मौजूद सम्राट अशोक से जुड़े पुरातात्विक आवशेष लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. देश विदेश से लोग सम्राट अशोक के शासन प्रशासन पर शोध करने पटना आते हैं.

कला, साहित्य हर क्षेत्र में बिहार शिखर पर है. बिहार के गौरवशाली इतिहास पर हर भारतीय को गर्व है. बिहार ऐसे प्रदेश है, जहां लोग डूबते सूर्य को भी नमस्कार करते हैं. लोक आस्था का महान पर्व छठ आज अंतर्राष्ट्रीय पहचान बन चुका है.

बौद्ध भिक्षुओं का आशियाना हुआ करता था बिहार: ऐतिहासिकता से इतर हमें यह भी जानना जरूरी है कि हमारा बिहार कैसे अस्तित्व में आया और राज्य का नाम क्यों बिहार पड़ा. दरअसल महात्मा बुद्ध के काल में बौद्ध भिक्षुओं के लिए विहार का निर्माण कराया गया था, जिसमें वह निवास करते थे. बिहार में 563 ईसा पूर्व से 483 ईसा पूर्व के बीच बिहार में कई बौद्ध विहार बनवाए गए. बाद में बौद्ध विहार को लेकर राज्य को बिहार नाम से जाना जाने लगा.
22 मार्च 1912 को बिहार अस्तित्व में आया: अपना बिहार 113 वर्ष का हो गया है. 22 मार्च 1912 को बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होने के बाद बिहार ने एक अलग प्रदेश के रूप में अपनी पहचान बनाई. लगभग डेढ़ सौ वर्षों के ब्रिटिश हुकूमत ने जिस बिहार की पहचान गौण कर दी थी, वह पहचान वापस प्राप्त हुई और आज बिहार 114 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. आज हम सभी अपने बिहारी होने पर गौरव की अनुभूति कर रहे हैं.
बिहार से अलग होकर दो राज्य बने: 1912 से पहले बिहार का राज्य के रूप में स्वतंत्र अस्तित्व नहीं था. बिहार बंगाल का हिस्सा हुआ करता था लेकिन भाषाई भेदभाव के चलते बिहार को अलग राज्य बनाने की मांग उठी. संविधान सभा के पहले अध्यक्ष सच्चिदानंद राय ने आवाज को बुलंद की और लंबे संघर्ष के बाद बिहार अलग राज्य बना. 1936 में बिहार से कट कर एक और राज्य बना जिसका नाम उड़ीसा हुआ. बिहार का एक और बंटवारा 15 नवम्बर 2000 में हुआ, जब बिहार से झारखंड को अलग कर दिया गया.
भारतीय सेना का महत्वपूर्ण केंद्र है दानापुर कैंटोनमेंट: सामरिक दृष्टिकोन से भी बिहार बेहद महत्वपूर्ण है. अलग भौगोलिक स्थिति होने के कारण बिहार पूर्वी भारत का केंद्र बना हुआ है. दानापुर में आज भी सेवा का कैंटोनमेंट है, जहां से पूरे उत्तर पूर्व पर नजर रखी जाती है. सेना को प्रशिक्षण देने का भी यह महत्वपूर्ण केंद्र है. अंग्रेजी शासन काल में भी दानापुर सेना का केंद्र हुआ करता था. सिख धर्म को मानने वालों के लिए भी बिहार महत्वपूर्ण है. राजधानी पटना गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली मानी जाती है और सिख समुदाय के लोग पटना सिटी बड़ी संख्या में पूजा अर्चना के लिए आते हैं.
शांति और क्रांति की धरती बिहार: इतिहासकार और पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जयदेव मिश्रा कहते हैं कि बिहार शांति और क्रांति की धरती रही है. बिहार में कई धार्मिक सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन हुए हैं. आंदोलन के चलते बिहार को बदलाव की धरती भी कहा जाता है. बिहार ने अतीत में कई उतार चढ़ाव देखे हैं. आज बिहार अपने गौरवशाली अतीत को हासिल करने के रास्ते पर आगे बढ़ चला है. हमने नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय के महत्व को जाना है और सरकार गौरवशाली अतीत को हासिल करने की कोशिश में लगी है.