मुजफ्फरपुर, सकरा: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सकरा थाना क्षेत्र के महमदपुर बदल गांव में बालू और मिट्टी के अवैध खनन का खेल जोरों पर है। स्थानीय माफियाओं द्वारा प्रशासन की नाक के नीचे यह कारोबार खुलेआम चलाया जा रहा है, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई नदारद है। ग्रामीण इस अवैध खनन से त्रस्त हो चुके हैं, जबकि प्रशासन की भूमिका संदिग्ध बनी हुई है।

बिना नंबर वाले वाहनों से अवैध खनन
गांव के ढाब (नदी किनारे) पर बिना नंबर वाले ट्रैक्टर और बुलडोजर दिन-रात मिट्टी और बालू की खुदाई में लगे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, 20 से अधिक ट्रैक्टर और कई बुलडोजर अवैध खनन में शामिल हैं। जब कोई ग्रामीण इस पर सवाल उठाता है, तो माफिया धमकी देने से भी पीछे नहीं हटते।

पत्रकार ने किया खुलासा, खुद की जमीन भी लूटी गई
इस अवैध कारोबार का खुलासा तब हुआ जब गांव के ही एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपने खेत पर जाकर देखा कि उसकी खुद की जमीन भी खनन माफियाओं ने खोद डाली है। पत्रकार के अनुसार, गांव के ही कुछ दबंग लोग इस अवैध खनन में शामिल हैं और सालों से यह काम कर रहे हैं।
पत्रकार ने मौके पर बुलडोजर और पांच ट्रैक्टर देखे, जो उनकी जमीन से बालू निकाल रहे थे। पूछताछ करने पर पता चला कि यह मनोज राय (गांव- बैकटपुर, थाना- मुशहरी) के इशारे पर हो रहा था। ट्रैक्टर के ड्राइवरों ने यह भी बताया कि इस खनन में एक स्थानीय पत्रकार भी शामिल है, जो इसे सरकार के लिए होने वाला काम बताकर लोगों को गुमराह कर रहा है।

खनन माफियाओं और पुलिस की मिलीभगत?
सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि खनन माफिया खुलेआम बताते हैं कि इस काम में पुलिस की भी हिस्सेदारी तय होती है। इसका मतलब है कि पुलिस को इसकी पूरी जानकारी है, लेकिन वह कार्रवाई करने के बजाय आंखें मूंदे बैठी है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस और माफियाओं के बीच गहरी साठगांठ है, जिसके चलते यह अवैध खनन वर्षों से बेरोकटोक चल रहा है।

जांच की मांग, जिम्मेदारों पर हो सख्त कार्रवाई
इस पूरे मामले में शामिल अजय कुमार सिंह, अनिल कुमार सिंह, मनोज राय सहित अन्य माफियाओं की कॉल डिटेल्स खंगालने की जरूरत है, ताकि यह पता चल सके कि वे किनसे संपर्क में हैं।
पीड़ित पत्रकार और स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन से अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही, संबंधित विभाग से औचक निरीक्षण और न्यायिक जांच की अपील की गई है।
अगर प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो यह मामला बड़े स्तर पर आंदोलन का रूप ले सकता है।




