चैत्र मास चुनावी सरगर्मी। मुजफ्फरपुर न्यूज टीम।
चैत्र मास के पावन पर्वों के बीच, हनुमान जयंती पर इस बार सिर्फ पूजा-अर्चना ही नहीं, बल्कि कायस्थ समाज में सियासी तापमान भी चरम पर है। एक ओर भक्ति का उत्सव है तो दूसरी ओर लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व—चुनाव।

Bihari Bliss के संस्थापक आकाश वर्मा की ओर से कायस्थ समाज को दिया गया संदेश एक नई चेतना को जन्म देता प्रतीत होता है। संदेश में न केवल वर्तमान हालातों पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं, बल्कि मतदाताओं को जागरूक करने का भी आह्वान किया गया है।




कौन होगा विजयी? किसके सिर सजेगा ताज?
जनता के मन में कई सवाल गूंज रहे हैं—
• इस बार जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा?
• क्या पुराने चेहरों की जगह नए नेता उभरेंगे?
• क्या यह चुनाव समाज के लिए बदलाव की नींव रखेगा?
सभी की निगाहें चुनाव मैदान में खड़े प्रत्याशियों पर हैं, लेकिन इससे भी अधिक सवाल चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर उठ रहे हैं।



क्या चुनाव होंगे निष्पक्ष?
संदेश में सबसे तीखी चोट उस वर्ग पर है जिसे निष्पक्षता का प्रतीक माना जाना चाहिए—चुनाव अधिकारी। पिछले वर्षों में जिन पर गंभीर आरोप लगे, वे आज भी उसी जिम्मेदारी के साथ मंच पर मौजूद हैं। सवाल उठता है कि अगर चुनाव संचालन पर ही जनता का भरोसा डगमगा गया तो क्या यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है?
चित्रांश समाज: क्या एकता दिखा पाएगा?
आकाश वर्मा ने विशेष तौर पर चित्रांश समाज को एकजुटता का संदेश दिया है। वर्षों से चित्रांश समाज में वर्ण विभाजन और अंदरूनी राजनीति के कारण मतों का बिखराव देखा गया है। यही कारण है कि समाज अपने योग्य नेतृत्व से अब तक वंचित रहा है। इस बार आह्वान है—
“ना बाटेंगे, न बटेंगे। अगर बटेंगे तो कटेंगे।”
यह नारा केवल चुनावी सियासत का नहीं बल्कि सामाजिक चेतना का प्रतीक है। सवाल यह है कि क्या इस बार चित्रांश समाज इस विभाजन से ऊपर उठकर, संगठित होकर मतदान करेगा?
क्या जनता बोलेगी या फिर खामोशी से झेलेगी परिणाम?
पिछले चुनावों की तरह अगर इस बार भी समाज का एक बड़ा हिस्सा चुप रहा, और चुनाव परिणाम आने के बाद “यह तो होना ही था” कहकर संतोष कर बैठा, तो यह चुप्पी आने वाले वर्षों में और भी बड़ी कीमत वसूल सकती है।

Bihari Bliss का संदेश—स्वाद के साथ सजगता
हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर Bihari Bliss न केवल स्वाद का अद्भुत अनुभव दे रहा है, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी भी निभा रहा है। कॉल के ज़रिए घर बैठे लोग न सिर्फ स्वाद का आनंद ले सकते हैं, बल्कि चुनाव और प्रत्याशियों के बारे में जरूरी जानकारियाँ भी पा सकते हैं।
चुनाव का दिन केवल वोट डालने का नहीं, बल्कि अपने समाज और भविष्य को दिशा देने का दिन है। क्या इस बार कायस्थ समाज जागेगा? क्या यह चुनाव बदलाव की बयार लाएगा?
जवाब कल मतपेटी में होंगे, लेकिन सवाल आज आपके सामने हैं।

