भारतीय सेना ने मंगलवार तड़के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर एक सटीक और योजनाबद्ध सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। सेना के सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर की गई, जिसमें यह संकेत मिले थे कि सीमापार स्थित आतंकी लॉन्च पैड से भारत में घुसपैठ की योजना बनाई जा रही थी।

कार्रवाई के दौरान भारतीय विशेष बलों ने नियंत्रण रेखा (LoC) को पार कर कई आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, इस हमले में लगभग 30 से अधिक आतंकवादी मारे गए हैं, जबकि कई शिविर पूरी तरह नष्ट हो गए हैं। इसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा समर्थित कुछ आतंकी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने प्रमुख रूप से शामिल थे।

भारतीय सेना के प्रवक्ता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि “यह कार्रवाई आत्मरक्षा के अधिकार के तहत की गई है और इसका उद्देश्य देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। हमारे जवान सकुशल लौट आए हैं।” उन्होंने आगे कहा कि भारत की नीति आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की है और भविष्य में भी ऐसे किसी खतरे का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

पाकिस्तान सरकार ने इस हमले को लेकर कड़ा विरोध जताया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की है। हालांकि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि यह कार्रवाई पूरी तरह आतंकी ठिकानों के खिलाफ की गई है, न कि किसी आम नागरिक या सैन्य ठिकाने पर।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अब किसी भी प्रकार की आतंकी गतिविधि को सहन नहीं करेगा। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और रक्षा मंत्रालय ने स्थिति पर नजर बनाए रखी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि “नया भारत आतंकवादियों को उनके घर में घुसकर जवाब देना जानता है। देश की रक्षा के लिए हम हर संभव कदम उठाएंगे।”

यह हमला उस समय हुआ है जब पिछले कुछ हफ्तों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोतरी देखी गई थी। सेना ने पहले ही चेतावनी दी थी कि सीमापार से घुसपैठ की कोशिशें तेज हो सकती हैं।

भारतीय सेना की यह कार्रवाई रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इससे यह स्पष्ट संदेश गया है कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक नीति के तहत आतंकवाद का सामना करेगा।