मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राव को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई करते हुए सीबीआई के तत्कालीन अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव को तलब किया है। सुप्रीम कोर्ट ने राव को फटकार लगाई है कि किस परिस्थिति में उन्होंने जांच अधिकारी का ट्रांसफर किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर बिहार आश्रय गृह मामलों की जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी एके शर्मा का तबादला करने पर सुप्रीम कोर्ट ने राव के प्रति कड़ा रूख अख्तियार किया है।

पिछले साल अक्तूबर में सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच उपजे विवाद के बाद तत्कालीन संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बनाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड केस की सुनवाई बिहार से नई दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। सुनवाई पटना से दिल्ली के साकेत पॉक्सो कोर्ट में ट्रांसफर की गई है। कोर्ट ने जज को आदेश दिया है कि दो हफ्ते के भीटर ट्रायल शुरू करें और 6 महीने के भीतर इसे खत्म करें।

आदेश में कहा गया है कि मुजफ्फरपुर यौन उत्पीड़न मामले से जुड़े दस्तावेजों को दो सप्ताह के भीतर बिहार सीबीआई अदालत से साकेत निचली अदालत में स्थानांतरित किया जाए को कहा गया है।

इस दौरान कोर्ट ने आश्रय गृहों की देखभाल को लेकर बिहार सरकार की आलोचना की। कोर्ट ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले में बिहार सरकार से कहा, बस बहुत हो गया, बच्चों के साथ ऐसा बर्ताव नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य सभी सूचनाएं मुहैया कराने में असफल रहा तो वह बिहार के मुख्य सचिव को समन कर सकता है। कोर्ट ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले की जांच कर रहे अधिकारी का तबादला करने को लेकर सीबीआई को भी फटकार लगाई है।

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