
NALANDA : राजगीर पुलिस अकादमी में आयोजित फेयरवेल समारोह की पूर्व रात्रि डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय अचानक रात के तकरीबन 9 बजे बिना किसी पूर्व सूचना के नालंदा के दीपनगर थाना पहुंच गये। बिहार से अपराध और अपराधी को उखाड़ फेंकने की जिम्मेवारी को उद्देश्य बना लेने वाले डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय के थाने में पहुंचते हीं हड़कंप मच गया। थाने पहुंचकर सबसे पहले डीजीपी ने स्टेशन डायरी की बारीकी से जांच की और उन्होंने स्टेशन डायरी पर अपने हाथ से नोट भी लिखा.


थाने में गड़बड़ी नहीं मिली तो उपस्थित पुलिसकर्मियों के साथ सम्मानपूर्वक स्नेह से हाथ मिलाया और अपराधियों के विरूद्ध लगातार दबिश बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। डीजीपी ने कहा थाना को दलालों से मुक्त रखिए और पत्रकारों, जनप्रतिनिधियों तथा आम जनता के साथ बहुत आदर से व्यवहार कीजिए। सभी अधिकारी और सिपाही हवलदार डीजीपी से हाथ मिलाकर गदगद थे और सबने डीजीपी श्री पाण्डेय को भरोसा दिलाया कि उनके आदेश का पालन होगा।

नालंदा के एसपी और डीएसपी भी डीजीपी के थाना पहुंचते हीं वहां पहुंच गये क्योंकि डीजीपी की राजगीर जाने की सूचना के कारण वे पहले से रोड पर थे। आपको बता दें कि डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय का नालंदा से पुराना नाता है, 2001 में वे नालंदा के एसपी थे और एक साल का नालंदा में उनका कार्यकाल एक स्वर्णिम दौर माना जाता है, पूरे बिहार के लोगों की तरह नालंदा के लोग भी उनकी कार्यशैली के दिवाने हैं।

लेकिन यहां के लोगों में डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के प्रति आदरभाव ज्यादा है क्योंकि जब नालंदा से श्री पाण्डेय तबादला हुआ थो तो इन्हें विदा करने लाखों लोग सड़क पर उतर आये थे। फिलहाल नालंदा के लोगों ने एक बार फिर अपने पुराने एसपी को देखा और इस बार बड़ी भूमिका में देखा। एसपी की बजाय डीजीपी के रूप में एक्शन देख नालंदा के लोगों की पुरानी यादें ताजा हो गयी।