
फिल्मों की पायरेसी रोकने के लिए मोदी सरकार ने सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952 में बदलाव को मंजूरी दे दी है, इस बदलाव के बाद अगर कोई भी व्यक्ति सिनेमाघरों में फिल्मों को रिकॉर्ड करता पकड़ा गया तो उस पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
इसके अलावा आरोपी को तीन साल तक की जेल भी हो सकती है , केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी दी। फिल्म की पायरेसी को रोकने के लिए ही सरकार ने सिनेमैटोग्राफी एक्ट 1952 को मंजूरी दे दी है। पिछले कई सालों से कई पाइरेटेड वेबसाइड कई फिल्मों को गैरकानूनी तरीके से इंटरनेट पर डालती आ रही हैं।
जिसके बाद फिल्म के कलेक्शन पर काफी प्रभाव पड़ता है। अब सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952के 6 एए में एक नई धारा जोड़ी जाएगी। इसके बाद किसी भी फिल्म को बिना प्रोड्यूसर या कंपनी की अनुमति के रिकॉर्ड करना जुर्म होगा। ऐसा करने पर संबंधित आरोपी को 3 साल की जेल या 10 लाख रुपए तक का जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है।

इसके बाद सरकार के इस सराहनीय कदम का प्रोड्यूसर्स गिल्ड ने स्वागत किया है। प्रोड्यूसर गिल्ड ने बयान जारी कर लिखा- एसोसिएशन खुले दिल से भारत सरकार के इस कदम का स्वागत करती है। सरकार का ये कदम पीएम नरेंद्र मोदी के उस वादे को पूरा करता है जो उन्होंने 19 जनवरी 2019 को सिनेमा म्यूजियम के उद्घाटन के दौरान किया था।
पिछले दिनों लगभग सभी फिल्में रिलीज के दिन ही ऑनलाइन लीक कर दी गई थी। जिसके बाद मोदी सरकार ने बॉलीवुड को एक बड़ा तोहफा दिया है। जो कि बजट के दौरान वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में पेश किया किया था।
