पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी को विफल बताकर सरकार पर निशाना साधने वालों को दो टूक शब्दों में चेताया कि चाहे कोई मुझे दफन क्यों न कर दे, लेकिन बिहार में हमेशा शराबबंदी रहेगी। मंगलवार को बापू सभागार में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती समारोह वर्ष की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जिनको शराबबंदी के बाद बिहार में आई शांति अच्छी नहीं लग रही, वे ही लोग मुझ पर प्रहार कर रहे हैं।
न तो महात्मा गांधी सबको आदर्शवादी बना सके, न दूसरा कोई ऐसा कर पाएगा। गड़बड़ करने वाले तो हर दौर में होते हैं। मगर ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होगी। पुलिस अधिकारी लोगों को शराबबंदी, दहेज प्रथा और बालविवाह के प्रति जागरूक करेंगे। गांधी के बताए 7 महापापों को सरकारी दफ्तरों की दीवारों पर लिखा जाएगा। सरकारी अधिकारी गड़बड़ी करने वालों का पक्ष लेने की बजाए ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करें। समाज सुधार की बुनियाद रखी, पर कुछ लोग स्वभाव से गड़बड़ करने वाले, इन पर हो रही सख्त कार्रवाई : मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी कर समाज सुधार की बुनियाद रखी गई लेकिन चंद लोग स्वभाव से गड़बड़ करने वाले होते हैं। ऐसे लोगों के साथ कानून सख्ती से कार्रवाई कर रहा है। सरकारी तंत्र भी आदर्शवादी नहीं हो सकता है।
सरकारी सेवकों को पता है कि गड़बड़ी करने पर कार्रवाई होगी। नौकरी तक जा सकती है। फिर भी वे गड़बड़ करते रहते हैं। बाल विवाह और दहेज के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। मामलों में कमी आ रही है। बापू की सोच के अनुरूप ही विकास कार्य को विकेंद्रीकृत तरीके से किया जा रहा है। हर घर नल का जल, शौचालय और बिजली की व्यवस्था की जा रही है।
शराब सिर्फ पैसा ही नहीं, अक्ल भी छीन लेती है : सीएम ने बापू की पंक्तियों का हवाला देकर कहा कि शराब न सिर्फ लोगों से पैसे छीनती है बल्कि अक्ल भी छीन लेती है। शराब पीने वाला इंसान हैवान हो जाता है। शराबबंदी के लिए हमलोग पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और इससे कोई समझौता नहीं करेंगे। पुलिस को लोगों को प्रेरित करने का आदेश दिया गया है।
सरकारी दफ्तरों की दीवार पर लिखे जाएंगे 7 महापाप : नीतीश ने कहा कि बापू के बताए 7 सामाजिक महापाप को थाने से लेकर सचिवालय व कार्यालयों में लिखवाने को कहा है। राष्ट्रपिता ने सिद्धांत के बिना राजनीति, काम के बिना धन, विवेक के बिना सुख, चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना व्यापार, मानवता के बिना विज्ञान और त्याग के बिना पूजा को सामाजिक महापाप बताया था।