केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने काले धन को रोकने की दिशा में कई श्रेणियों के टैक्स डिफॉल्टर्स के लिए एक नया नियम जारी किया है, जो आज से ही लागू हो गया है। इस नियम के तहत अब टैक्स चोरी करने वाले जुर्माना भरने के बाद भी कार्रवाई से नहीं बच पाएंगे।
यह नियम उन्हीं लोगों पर लागू होगा, जिन पर कालेधन को ठिकाने लगाने जैसे आरोप हैं। इस नियम के तहत कर चोरी के मामले में अदालत से बाहर कोई समझौता नहीं होगा, बल्कि इसपर पूरा मुकदमा चलेगा और तय सजा उसे भुगतनी पड़ेगी।

सीबीडीटी के दिशानिर्देशों के अनुसार, काले धन और बेनामी कानून के तहत ज्यादातर अपराध नॉन कंपाउडेबल होंगे, यानी सिर्फ जुर्माना देकर कोई भी दोषी बच नहीं पाएगा। इस संदर्भ में सीबीडीटी ने 13 तरह के मामलों की सूची भी जारी की है।
अपराधों को उनकी गंभीरता के हिसाब से दो श्रेणियों में बांटा गया है :
श्रेणी ए : श्रेणी ए के तहत आने वाले अपराधों को कोर्ट के बाहर समझौता करने की मंजूरी दी जा सकती है। इस श्रेणी में स्रोत पर कर न चुकाने या कम कटौती के मामले और धारा 115-0 के तहत कम चुकाए गए कर से जुड़े मामले आएंगे। लेकिन, किसी को तीन बार दोषी पाया जाता है, तो दोषी को बचाव का मौका नहीं मिलेगा और उनको कोर्ट के बाहर समझौता करने की मंजूरी नहीं दी जाएगी।

श्रेणी बी : वहीं जानबूझकर टैक्स चोरी करने के प्रयास के केस, खातों और अन्य वित्तीय दस्तावेजों को पेश न करने का केस और जांच-पड़ताल के दौरान गलत बयान दर्ज कराने के मामले श्रेणी बी के तहत आएंगे। ऐसे मामलों को कोर्ट के बाहर नहीं सुलझाया जाएगा। जिन मामलों में आयकर विभाग के अलावा प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई, लोकपाल, लोकायुक्त या अन्य केंद्रीय एजेंसियां भी जांच कर रही हैं, उन्हें भी कोर्ट के बाहर खत्म नहीं किया जा सकता और जांच के बाद ही फैसला होगा।