
MUZAFFARPUR (ARUN KUMAR) : मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एसकेएमसीएच) परिसर में अस्पताल के पीछे जंगलों में मानव कं’काल और ह’ड्डियां बरामद होने से जिले में हड़कं’प मच गया है. मामला प्रकाश में आने के बाद बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने मामले के जांच के आदेश दे दिए हैं. साथ ही जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने भी प्रशासन और संबंधित विभागों से इस मामले में रि’पोर्ट मांगी है.

मिली जानकारी के मुताबिक, मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच परिसर में अस्पताल के पीछे दर्जनों नरकं’काल और ह’ड्डियां बरा’मद की गई हैं. मानव कंका’ल मिलने की खबर से अस्पताल प्रशासन भी सकते में आ गया. चमकी बुखार, एईएस व अज्ञात बीमारी से बच्चों की मौत के बाद अब अस्पताल के पीछे मानव कंका’ल मिलने से हड़कं’प मचा हुआ है. मामला संज्ञान में आने के बाद मौके पर अनुमंडलाधिकारी पूर्वी कुंदन कुमार, सिटी एसपी नीरज कुमिर सिंह, पुलिस उपाधीक्षक नगर मुकुल रंजन समेत अहियापुर थानाध्यक्ष सोना प्रसाद सिंह ने जांच-पड़ताल कर रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है.

जांच-पड़ताल करते हुये अनुमंडलाधिकारी पूर्वी कुंदन कुमार ने कहा कि, ‘अस्पताल प्रबंधन द्वारा यह स्थल डि’स्पोजल यार्ड (नि’स्तारण स्थल) के रुप में उपयोग में लाया जाता है, जिस दौरान दो तरह की श’वों का नि’स्तारण किया जाता है. एक तो दावारहित लावारिस शव और दूसरा जो मेडिकल काॅलेज छात्र-छात्राओं द्वारा प्रयोग में लाया जाता है. अस्पताल प्रबंधन और मेडिकल छात्रों से पूछताछ के उपरांत ही स्थिति स्पष्ट हो पायेगी.

दरअसल, एसकेएमसीएच वही अस्पताल है जहां चमकी बु’खार/एईएस की वजह से सबसे ज्यादा करीब 150 से अधिक बच्चों की मौ’त हुई है. वहीं, पूरे बिहार में अब तक एईएस से 145 बच्चों की मौ’त हुई है. ज्यादातर बच्चे इसी अस्पताल में इलाजरत थें. यहां मरी’जों के लिए बिस्तर, डॉ’क्टरों, आईसी’यू और मूलभू’त सु’विधाओं की भारी कि’ल्लत की वजह से बच्चों को बेहतर इलाज नहीं मिल सका. इस वजह से भी मृ’तकों की संख्या में भारी इजाफा देखने को मिला. जिससे बाद से ही लगातार यह अस्पताल स’वालों के घेरे में है.

जिले के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एसकेएमसीएच) के पिछले हिस्से में काफी बड़ा जंगली इलाका है. शनिवार को यहां से मानव कंका’ल के साथ-साथ ह’ड्डियां मिलने से प्रथमदृष्टया प्रतीत हो रहा था कि कई श’वों को एक साथ यहां ज’लाया गया है. एक बोरे में भी मानव कंका’ल बंद मिला है.

इस संबंध में जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने कहा कि, ‘अस्पताल प्रशासन की ओर से सभी कानूनी प्रक्रिया समाप्त होने के बाद इन श’वों का निस्तारण किया गया था’. उन्होंने कहा कि ‘जांच टीम में शामिल अधिकारियों की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि पाए गए कंका’ल उन श’वों के हैं, जिनके लिए कोई दावा करने नहीं आया और वो लावा’रिस होते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इन शवों को का’नूनी प्रक्रिया के बाद ही नि’स्तारित किया गया था’. जिलाधिकारी ने यह भी बताया, ‘नियम के मुताबिक, अज्ञात श’वों को 72 घंटे तक रखने के बाद उन्हें न’ष्ट कर दिया जाता है. ऐसे श’वों के अंतिम संस्कार के लिए जिला प्रशासन 2000 रुपये भी देता है.’

एसकेएमसीएच के अधीक्षक सुनील कुमार शाही ने इस बाबत कहा, ‘ लावा’रिस श’वों के पोस्टमॉ’र्टम के बाद 72 घंटों बाद नियत समय में अं’तिम सं’स्कार कर दिया जाता है. ये मानव कंका’ल के अवशेष उस स्थान से मिले हैं जहां अं’तिम सं’स्कार की प्रक्रिया होती हैं. उन्होंने कहा कि-लेकिन मैं मानता हूं कि यह काम बेहद मान’वीय दृष्टिकोण के साथ होना चाहिए था. श्री शाही ने कहा ,‘‘पोस्टमॉ’र्टम खंड अस्पताल से संबद्ध मेडिकल कॉलेज के प्रार्चाय के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन है. मैंने मामले की अच्छे से जांच पड़ताल हेतु एक समिति गठित करने और प्रतिकारक कदम उठाने के लिए कहा है.’’

यदि मृ’तक के परिवार का कोई सदस्य 72 घंटों के भीतर मृ’तक की शि’नाख्त के लिए नहीं आता है, तो पोस्टमॉ’र्टम विभाग का कर्तव्य है कि वह निर्धारित प्रक्रिया के बाद मृ’त श’रीर को दफ’नाने या ज’लाये जाने हेतु प्रक्रि’या करती है. जिले के एसकेएमसीएच में बरा’मद कंका’लों से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी स्तर पर ला’वारिस ला’शों को अंतिम संस्कार तक की व्यवस्था के लिए सरकार स’क्षम नहीं है.

यह सरकार की ल’चर व्यवस्था की खा’मी का एक ज्व’लंत उदाहरण है. इस व्य’वस्था में उन बदन’सीब ला’वारिस श’वों को सद्गति भी नहीं मिल पाती, जिनका कोई अपना नहीं होता या जिन तक अपने परिजन की मौ’त की सूचना तक नहीं पहुंच पाती है. जिंदा लोगों को रोटी, कपड़ा व मकान उपलब्ध कराने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, मगर मृ’त लोगों के अंतिम संस्कार के मामले में भी ला’चार और असंवे’दनशील दिख रही है.

