आज शनिवार है भगवान शनिदेव का दिन है .न्याय के देवता और यमराज के भ्राता सूर्यपुत्र शनिदेव कहते हैं ये एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनके क्रो’ध से इंसान तो क्या देवता भी कां’पते हैं. जिस किसी पर भी शनिदेव की व’क्र दृ’ष्टि पड़ जाती है. उसके तो सभी बने बनाए काम बि’गड़ जाते है. ऐसा नहीं है कि शनिदेव सिर्फ बु’रे कर्मों का फल देते है.

न्यायाधीश शनिदेव तो सच्चे और ईमानदार लोगों को भी उनके अच्छे कर्मों का फल देते हैं. कहते हैं शनिदेव की कृपा से तो रं’क भी राजा बन जाता है. मान्यता है कि जो भी जातक शनि से जुड़े दान और उनके मंत्रों का जाप करता है, उसे बढ़ते क’र्ज से मु’क्ति पाने में मदद मिलती है.

श’त्रुओं पर विजय प्राप्त होती है साथ ही बी’मा’रियों से भी छु’टकारा मिलता है यहीं नहीं शनिदेव की पूजा से साढ़ेसाती के प्र’कोप से भी निजात मिलती है.
शनिदेव के व्रत करने का पूरा विधि-विधान
शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें.
लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं.

काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र और तेल से शनिदेव की पूजा करें. पूजन के दौ’रान शनि के दस नाम कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर का उच्चाण करें. पूजन के बाद पीपल के वृक्ष की सात परिक्रमा करें और अंत में शनिदेव के मंत्रों का जा’प करें. कहते हैं लगातार सात शनिवार ऐसा करने से शनि दो’षों से छु’टकारा पाया जा सकता है.



Input: News State