सावन का महीना शुरू हो गया है. इसके साथ ही बाबा गरीबनाथ धाम की महत्ता भी बढ़ गई है. है. सावन के महीने में बाबा गरीबनाथ की पूजा-अर्चना के लिए दूद-दू’र से श्रद्धालु आते हैं.
इस पावन महीने के हर सोमवार को सोनपुर के पहलेजा घा’ट से गंगा जल लाकर कांवड़िए बाबा की पूजा अर्चना करते हैं. झारखंड के बिहार से अलग होने के बाद बाबा गरीबनाथ मंदिर में देवघर के बाद सबसे अधिक श्रद्धालु आते हैं. हर साल बढ़ती जा रही है गरीबनाथ की प्रसिद्धि मुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबनाथ धाम वर्षों से श्रद्धालुओं के आस्था और श्रद्धा का केन्द्र रहा है.

मनोकामना लिंग के रूप में भक्तों के बीच ख्याति पाए बाबा की महिमा की प्रसिद्धि हर साल बढ़ती ही जा रही है. सावन के महीने में विशेषकर सोमवार को सोनपुर के पहलेजा घाट से 70 किलोमीटर की दूरी तय कर कांवड़ियों का ज’त्था लाखों की संख्या में पवित्र गंगा जल से बाबा का जलाभिषेक करते हैं.देवघर की तर्ज पर बाबा गरीबनाथ धाम में भी डाक बम गंगा जल लेकर महज 12 घंटे में बाबा का जलाभिषेक करने की परंपरा रही है. भक्तों की बीच बाबा की प्रसिद्धि ऐसी कि हर साल 10 से 15 फीसदी कांवड़ियों की संख्या बाबा को जलाभिषेक करने के लिए बढ़ते चले जा रहे हैं.

तीन सौ साल पुराना है बाबा गरीबनाथ का इतिहास. ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाबा गरीबनाथ धाम का तीन सौ साल पुराना इतिहास रहा है. लेकिन मिले दस्तावेज के अनुसार 1812 ई. में इस स्थान पर छोटे मंदिर में बाबा की पूजा-अर्चना होती रही थी. मान्यता है कि सात पीपल का पेड़ यहां के घने जंगल में थे.

पेड़ की कटा के समय अचा’नक खू’न जैसे लाल पदार्थ निकलने और विशालकाय शिवलिंग के बाद जमीन मालिक को रात में बाबा ने स्वप्न दिया, जिसके बाद विधिवत पूजा-अर्चना की जाने लगी. मान्यता है कि बेहद ही गरीब आदमी के बेटी के विवाह के लिए घर में कुछ भी नहीं था, लेकिन बाबा के दर्शन के बाद सारे सामानों की आपूर्ति अपने-आप हो गई तबसे से लोगों के बीच गरीबनाथ धा्म के रूप में बाबा की प्रसिद्धि हुई.



Input: News 18