विश्व के सबसे अमीर व्यक्ति जेफ बेजोस द्वारा 1994 में अपने गैराज में स्थापित की गई अमेजन को पांच जुलाई को 25 साल पूरे हो गए हैं। ऑनलाइन बुक स्टोर से शुरुआत करने वाली यह कंपनी 25 साल में एक लाख करोड़ डॉलर यानी करीब 70 लाख करोड़ रुपये वैल्यूएशन वाली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है।
इस कंपनी की शुरुआत तीन लोगों के साथ हुई थी, लेकिन आज अमेजन में करीब साढ़े छह लाख कर्मचारी काम करते हैं और इसी के साथ यह अमेरिका की सबसे बड़ी नियोक्ता कंपनी बन गई है। साल 1997 में अमेजन पहली बार पब्लिक हुई थी।

ना सिर्फ अमेजन के संस्थापक, बल्कि अब तक अमेजन के प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने वाले 25 हजार से ज्यादा विक्रेता करोड़पति बन गए हैं। ई कॉमर्स के अतिरिक्त अमेजन आज इंटरनेट, क्लाउड कम्प्यूटिंग, वीडियो स्ट्रीमिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भी अमेजन दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है।
ई-कॉमर्स बिजनेस अमेजन की हिस्सेदारी सबसे अधिक यानी 45 फीसदी है। इसके बाद इस सूची में ई-बे का नाम आता है, जिसकी हिस्सेदारी 6.8 फीसदी है।
साल 1999 में टाइम मैगजीन ने जेफ बेजोस को ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ और ‘द किंग ऑफ साइबर कॉमर्स’ की उपाधि दी गई थी।

जेफ ने सबसे पहले कंपनी का नाम अमेजन नहीं सोचा था। वो ‘आबरा का डाबरा’ नाम से इतने आकर्षित थे, कि कंपनी का नाम ‘काडाबरा’ रखना चाहते थे। हालांकि उनके वकील ने ऐसा करने से मना किया था। फिर उन्होंने इसका नाम अमेजन रखा।
किसी भी कर्मचारी को कंपनी के छोड़ने पर पांच हजार डॉलर मिलते हैं। हालांकि यह तब होता है जब कंपनी चाहती है। अगर कर्मचारी अपनी मर्जी से कंपनी को छोड़ेगा, तो उसे यह पैसे नहीं मिलेंगे।
ऑनलाइन बुक स्टोर से शुरू हुई इस कंपनी ने तीन अप्रैल, 1995 को अपनी पहली किताब बेची थी। पहले ही महीने में कंपनी ने 45 देशों में किताबें बेची थीं। लेकिन कंपनी को पहला लाभ छह साल बाद यानी साल 2001 में हुआ था।