सोशल मीडिया प्रोफाइल्स को आधार कार्ड से जोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार, ट्विटर, गूगल और यू-ट्यूब को नोटिस जारी किया है। देश भर के उच्च न्यायालयों में लंबित पड़ीं याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने को लेकर फेसबुक की ओर से याचिका दायर की गई थी। इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 सितंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान फेसबुक की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने केरल हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि एक देश में दो कानून नहीं हो सकते. इस दौरान सरकार की ओर से प्रस्तावित संशोधन बिल और सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए गए।

व्हाट्सअप की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि मुख्य मामला तो व्हाट्सएप से जुड़ा है। ये सब मुद्दे सरकार की नीति से संबंधित हैं, लिहाजा इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म और इनके रिफॉर्म्स से जुड़े मामलों को सुप्रीम कोर्ट अपने यहां ट्रांसफर कर सुनवाई करे। ये पूरे देश की जनता की निजता से जुड़ा है।
बता दें, फेसबुक और व्हाट्सएप को आधार से लिंक करने का मामले में कुल चार याचिकाएं दाखिल हैं। मद्रास में दो, ओडिशा और मुंबई में एक-एक याचिका दाखिल है. इस मामले की सुनवाई के दौरान फेसबुक और व्हाट्सएप की तरफ से कहा गया कि हमें कई कानूनों को देखना पड़ता है, क्योंकि करोड़ों यूजर अपने-अपने हिसाब से इन प्लेटफॉर्म को यूज करते हैं।

सुनवाई के दौरान व्हाट्सएप की तरफ से कहा गया कि मद्रास हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा कि वह इस मामले को देख रही है और जल्द गाइड लाइन जारी करेगी। कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्र सरकार की पॉलिसी से संबंधित मामले को हाईकोर्ट कैसे तय कर सकता है? ये संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। व्हाट्सएप की तरफ से कहा गया कि सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए. सुप्रीम कोर्ट इन मामलों की सुनवाई कर निपटारा करे।
नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, सरकार के पास ऐसा मैकेनिज्म नहीं है, जिससे मैसेज या पोस्ट की शुरुआत करने वाले का पता लगाया जा सके। खासकर आपराधिक प्रवृत्ति वाले पोस्ट्स पर। उन्होंने कहा कि अब ब्लू व्हेल जैसे खतरनाक गेम भी कैसे रोके जाएं? इस पर जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि ब्लू व्हेल से डार्क वेब ज्यादा खतरनाक है।

अटॉर्नी जनरल ने कहा, यह पता लगाया जा रहा है कि ब्लू व्हेल को किसने बनाया है। यह गंभीर मामला है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किन शर्तों पर जानकारी साझा की जाए, ये सवाल भी कोर्ट के सामने हैं. क्रिमिनल मामले में कई प्रोसिजर हैं, जिससे अपराधी तक पहुंचा जा सकता है।