प्राचीन मंदिरों में से एक है संकटमोचन मंदिर, दर्शन करने वालों की पूरी होती है सारी मुरादें ‘जय बजरंगबली’

#Banaras #UttarPradesh #India संकट मोचन मंदिर बालाजी के एक बहुत ही प्यारा और चमत्कारी मंदिर है । इस मंदिर को वानर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है क्योकी इस मंदिर के आस पास बंदरो की संख्या बहुत है । ऐसा प्रतीत होता है की श्री हनुमान जी अपनी वानर सेना के साथ इस मंदिर में रमे हुए है । यह मंदिर वाराणसी शहर के दक्षिण में स्तिथ है । नाम के अनुसार ही यह मंदिर अपने भक्तो के सं’कट दूर करने वाला है ।यह मंदिर आजादी के लिए ल’ड़ने वाले पंडित मदन मोहन माल्विया ने 1900 के करीब बनवाया था ।

हनुमान जयंती पर मां दुर्गा मंदिर से संकट मोचक मंदिर तक एक भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है । इस मंदिर में श्री राम के सामने श्री हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है जो इस मंदिर को अन्य हनुमान मंदिर से अलग करती है ।माना जाता हैं कि इस मंदिर की स्थापना वही हुईं हैं जहा महाकवि तुलसीदास को पहली बार हनुमान का स्वप्न आया था।

संकट मोचन मंदिर की स्थापना कवि तुलसीदास ने की थी। वे वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अवधी संस्करण रामचरितमानस के लेखक थे। परम्पराओं की माने तो कहा जाता हैं कि मंदिर में नियमित रूप से आगंतुकों पर भगवान हनुमान की विशेष कृपा होती हैं। हर मंगलवार और शनिवार, हज़ारों की तादाद में लोग भगवान हनुमान को पूजा अर्चना अर्पित करने के लिए कतार में खड़े रहते हैं।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार भगवान हनुमान मनुष्यों को शनि गृह के क्रोध से बचते हैं अथवा जिन लोगों की कुंडलियो में शनि गलत स्थान पर स्तिथ होता हैं वे विशेष रूप से ज्योतिषीय उपचार के लिए इस मंदिर में आते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान हनुमान सूर्य को फल समझ कर निगल गए थे, तत्पश्चात देवी देवताओं ने उनसे बहुत याचना कर सूर्य को बाहर निकालने का आग्रह किया।

कुछ ज्योतिषों का मानना है कि हनुमान की पूजा करने से मंगल गृह के बु’रे प्रभाव अथवा मानव पर अन्य किसी और गृह की वजह से बु’रे प्रभाव को बेअसर किया जा सकता हैं।

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