#UTTARAKHAND : तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर, ये हो सकता है अं’जाम

#UTTARAKHAND #INDIA : सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में ग्लेशियर की मौजूदा स्थिति को लेकर बैठक हुई। इसमें हिमालय क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक और विशेषज्ञों ने ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार पर चिंता जताई है।

यमुना कॉलोनी स्थित सिंचाई भवन में हुई बैठक में कैबीनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि जल शक्ति विभाग हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न संस्थानों की ओर से लिए गए आंकड़ों का अध्ययन कर रहा है। इसका उद्देश्य है कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से क्या-क्या बदलाव आ रहे हैं। ग्लेशियर के पिघलने के कारण ऊपरी हिमालयों में बनने वाली झीलों का आकार बढ़ रहा है। वैज्ञानिक लगातार इस स्थिति को लेकर चिंता जता रहे हैं।

बर्फबारी कम होने और उसके मुकाबले अत्याधिक बारिश होने से झीलों की स्थिति में परिवर्तन आ रहे हैं। बैठक का उद्देश्य तमाम विभागों में आंकड़ों का आदान प्रदान करना है ताकि आपदा की स्थिति से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य में बार-बार दैवीय आपदा से होने वाले नुकसान से सरकार चिंतित है। राज्य को मौसम संबंधी सटीक आंकड़ों के लिए डॉप्लर रडार की जरूरत है। सरकार इसके लिए प्रयास कर रही है। ग्लेशियर अध्ययन से गंगा-यमुना बेसिन हिमालयी क्षेत्र में बनने वाली ग्लेशियर झील के बर्ताव की जानकारी हासिल करना बेहद जरूरी है। इससे पर्वतीय, मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ से निपटने की योजना बनाने, जल विद्युत परियोजना की देखरेख में मदद मिलेगी। इसी के चलते उत्तराखंड परियोजना विकास व निर्माण निगम ने त्यूनी-प्लासू जल विद्युत परियोजना(72 मेगावाट)का राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान से अध्ययन कराया। फलस्वरूप इसे दोबारा डिजायन किया गया।

वैज्ञानिकों ने बताया कि पिछले सौ वर्षों में वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री की बढोतरी हुई है। जिस वजह से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी भारी बारिश हो रही है। केदारनाथ आपदा इसका उदाहरण है। जब 15 से 18 जून 2013 के बीच घाटी में 120 से 180 मिमी बारिश हुई थी।

ये रहे मौजूद

सिंचाई सचिव डा.भूपेन्द्र कौर औलख, प्रमुख अभियंता सिंचाई मुकेश मोहन, इसरो के वैज्ञानिक डा.पीके चम्पती राय, वाडिया के वैज्ञानिक डा.डीपी डोभाल, उत्तराखंड परियोजना विकास एवं निर्माण निगम के एमडी एनके यादव, जयपाल सिंह, वैज्ञानिक डा.रजत जैन, भारतीय मृदा संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा.धर्मवीर सिंह, डा.राजेश यादव, डा.एसके श्रीवास्तव, डा.आशा थपलियाल, डा.प्रतिभा पांडे, डा.प्रवीण ठाकुर आदि मौजूद थे।

नंदा देवी से प्लूटोनियम पैक खोजेगी सरकार

राज्य सरकार चीन सीमा से लगे हुए नंदा देवी के ऊंचे शिखरों में करीब 53 साल से बर्फ में दबे प्लूटोनियम पैक की खोज करेगी। हॉलीवुड निर्माताओं की ओर से इस विषय पर फिल्म बनाने की घोषणा के बाद से पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज लगातार इस मसले को गंभीरता से उठाने का प्रयास कर रहे हैं। 1965 में अमेरिका के सहयोग से नंदादेवी की चोटी पर रडार स्थापित करने के लिए प्लूटोनियम पैक को चोटी पर पहुंचाया जा रहा था तभी बर्फीले तूफान की चपेट में आकर प्लूटोनियम पैक वहीं दब गया। सतपाल महाराज ने बताया कि प्लूटोनियम पैक से गंगा जैसी पवित्र नदी पर रेडिएशन का खतरा है। उन्होने बैठक में मौजूद विभिन्न विभागों से इस विषय पर अपने-अपने स्तर पर कार्ययोजना बनाने को कहा है।

Source : live hindustan

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