#KERALA : सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश संबंधी फैसला अंतिम नही – सुप्रीम कोर्ट

#NEW_DELHI : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि केरल के सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी 2018 का फैसला अंतिम नहीं है क्योंकि इस मामले को वृहद पीठ को सौंप दिया गया है। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब भगवान अयप्पा की एक महिला श्रृद्धालु बिन्दु अमीनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने 2018 के फैसले के उल्लंघन का आरोप लगाया। उनहोंने कहा कि सबरीमला मंदिर में प्रवेश का प्रयास करने वाली उनकी मुवक्किल पर हमला किया गया है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने संविधान पीठ के 14 नवंबर के फैसले का जिक्र करते हुये कहा कि 2018 का निर्णय अंतिम शब्द नहीं है क्योंकि यह मामला सात सदस्यीय पीठ के पास विचार के लिये भेजा गया है। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं को मुस्लिम और पारसी समुदाय की महिलाओं के साथ भी होने वाले भेदभाव के मुद्दों के साथ 3:2 के बहुमत से सात सदस्यीय पीठ को सौंप दिया था।

सितंबर, 2018 में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी। पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि 10 से 50 वर्ष की आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को भेदभावपूर्ण और संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन करार दिया था। जयसिंह ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले के बावजूद उनकी मुवक्किल पर पुलिस आयुक्त के कार्यालय के बाहर हमला किया गया और उसपर कोई रासायनिक पदार्थ से स्प्रे किया गया। पीठ इस महिला श्रृद्धालु के आवेदन पर अगले सप्ताह सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करने पर तैयार हो गयी। पीठ ने कहा, ”हम अगले सप्ताह अन्य याचिका के साथ इसे सूचीबद्ध करेंगे। एक अन्य महिला फातिमा ने भी शीर्ष अदालत में इसी तरह के अनुरोध के साथ बुधवार को याचिका दायर की है।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from Muzaffarpur News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading