
PATNA : ज्यादा दिन नहीं हुए जब केंद्र सरकार ने रिटा’यर हो रहे अपने स्वा’स्थ्य सचिव का कार्यकाल इस कारण से बढ़ा दिया कि देश कोरो’ना संक’ट से जू’झ रहा है और अगर स्वास्थ्य सचिव रिटा’यर हो गये तो नये सिरे से काम करने वाले के लिए बडी मुसी’बत होगी. लेकिन बिहार में जब कोरो’ना का सं’कट भीष’ण रूप लेता जा रहा है तब राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार को ह’टा दिया. अचानक से लिये गये फै’सले में संजय कुमार को स्वास्थ्य विभाग से हटाकर फि’लहाल मृ’त पड़े पर्यटन विभाग में भेज दिया गया. महामा’री के बीच स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव का तबा’दला सामान्य बात नहीं है और सरकार के भीतर ये चर्चा आम है कि संजय कुमार बहुत दिनों से राजा की आंखों में ख’टक रहे थे. जानिये क्या है वे कारण जिसके कारण सरकार ने ये फै’सला लिया.


क्यों राजा की आंखों में ख’टक रहे थे संजय कुमार
सरकारी सूत्रों की मानें तो स्वा’स्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार काफी दिनों से राजा की आंखों में ख’टक रहे थे. इसकी शुरूआत डेढ़ महीने पहले हुई थी जब स्वा’स्थ्य विभाग ने PMCH के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह को सस्पें’ड कर दिया था. कोरो’ना सैंपल की जां’च में गं’भीर लाप’रवाही बर’तने के आरो’पी सत्येंद्र नारायण सिंह बिहार के सत्ताशीर्ष के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं. आलम ये हुआ कि बेहद गंभी’र आरो’पों के आधार पर 8 अप्रैल को सस्पें’ड कर दिये गये डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह का निलं’बन पांच दिनों में ही समा’प्त कर दिया गया. डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह को फिर से अपने पु’राने पद पर ब’हाल भी कर दिया गया.

बिहार के सचिवालय में ये चर्चा आम थी कि पीएमसीएच माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष का निलं’बन ख’त्म कर उन्हें पु’राने जगह पर ही बहाल करने का फर’मान सीधे उपर से आया था. स्वास्थ्य विभाग ने इस पर जुबानी आप’त्ति जतायी थी लेकिन फर’मान नहीं बदला. इस प्रकरण ने बिहार सरकार की ज’मकर फजी’हत भी करायी थी. आरजेडी नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने आरोप लगाया था कि एक खास वर्ग से आने के कारण गंभी’र आरो’पों से घिरे डॉ’क्टर के खि’लाफ सारी का’र्रवाई र’द्द कर दी गयी.

एक खास जिले के डॉक्टरों पर का’र्रवाई से भी थी बेचैनी
कोरो’ना संक’ट के बीच स्वास्थ्य विभाग ने कई डॉ’क्टरों की गंभी’र लाप’रवाही पकड़ी थी. उनके खि’लाफ का’र्रवाई भी की जा रही थी. का’र्रवाई की जद में एक खास जिले के कई डॉ’क्टर भी आये थे. जानकार बताते हैं कि उन डॉक्टरों को नहीं छे’ड़ने के संकेत दिये जा रहे थे लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उसे नहीं समझा. लिहाजा सत्ताकेंद्र में बेचै’नी और बढ गयी थी.

सरकार चलाने वाले अधिकारियों की लॉ’बी भी थी नाराज
बिहार के सचिवालय में हर कर्मचारी-अधिकारी जानता है कि सरकार को अधिकारियों की एक खास लॉ’बी चला रही है. कहा ये भी जाता है कि अधिकारियों की इस लॉ’बी के हेड के सामने पूरी राजस’त्ता नतम’स्तक रहती है. बिहार में ट्रां’सफर-पो’स्टिंग से लेकर ठेका-पट्टे के सारे बड़े काम इसी लॉबी के रास्ते अंजा’म तक पहुंचते हैं. लेकिन स्वा’स्थ्य महकमे में इस लॉ’बी की चल नहीं रही थी. लिहाजा लगातार ये कोशिश हो रही थी कि महकमे का कं’ट्रोल ऐसे हाथों में सौंपा जाये जिससे अपने मनमा’फिक काम कराया जा सके.

मंत्री से टकराव भी बना कारण
बिहार के स्वास्थ्य विभाग में मंत्री और प्रधान सचिव के बीच टक’राव की खबरें आम थी. यहां तक की सोशल मीडिया पर भी दोनों के बीच ता’लमे’ल न होने की बात दिख जा रही थी. कोरो’ना को लेकर मंत्री और प्रधान सचिव के ट्वीट में अक्सर कोई ता’लमेल ही नहीं दिख रहा था. स्वास्थ्य विभाग में होने वाली च’र्चाओं के मुताबिक स्वा’स्थ्य मंत्री और प्रधान सचिव के बीच टक’राव की खबरें लगातार आम हो रही थीं. लिहाजा बीजेपी की ओर से भी स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हटा’ने का दवा’ब था.

हालांकि जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार के शासनकाल में मंत्रियों की नारा’जगी से अधिकारियों का कुछ नहीं बि’गड़ा है. ऐसे में अगर महामा’री के दौर में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ह’टाये गये हैं तो बात साफ है. फै’सला स’त्ताशीर्ष से हुआ है. राजा और राजा के रणनी’तिकारों ने फैसला लिया है. दुर्भा’ग्यपूर्ण बात ये है कि कोरो’ना सं’कट के दौर में स्वा’स्थ्य विभाग के प्रधान सचिव का तबा’दला महामा’री के खि’लाफ मु’हिम पर बडा अ’सर डाल सकता है. लेकिन सरकार को इसकी फिक्र हो ये जरूरी तो नहीं.
Input : First Bihar



