मौनी बाबा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ग्रह नक्षत्र ठीक नहीं चल रहे है। सहयोगी पार्टियां बीजेपी और हम हमलवार हो कर उनका मौन तोड़वाने में लगी है। हम पार्टी ने सरकार से घोषणा पत्र की याद दिलाते हुए बेरोजगारों को 5000 रूपये देने की घोषणा करने को कहा जबकि इस फैसले के होने से राज्य पर 50 अरब रूपये का वित्तीय भार पड़ता। बिहार के खास्ता वित्तीय हालात में यह कदम संभव नहीं है। असल मुद्दा हम पार्टी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से राज्यपाल द्वारा मनोनीत एमएलसी में सीट नहीं मिलने से नाराज थी। हम पार्टी फिलहाल एमएलसी तनवीर अख्तर के निधन से खाली सीट पर नाम की घोषणा का इंतजार कर रही है।

लॉकडाउन का मुद्दा हो या दलित और अल्पसंख्यक व दलितों का मुद्दा उठाकर सरकार की फजीहत करने की कोशिश की है। जेडीयू भी इन हमलों को पूरी तैयारी से जवाब दे रही है। ऐसा लगता है कि सरकार में बीजेपी और जेडीयू में शह मात का खेल शुरू हो गया है। बीजेपी चाहती है कि मौनी बाबा अपने मौन छोड़ कर बैकफूट पर आ जाए। लेकिन जेडीयू भी बीजेपी पर कड़े रूख रख रही है बीजेपी के एमएलसी टून्ना जी पांडेय ने नीतीश कुमार पर हमला किया तो बीजेपी पहले चुप थी लेकिन बाद में उसे टून्ना जी पांडे पर कार्रवाई करनी पड़ी। जेडीयू नेता संजय सिंह ने परोक्ष रूप से बीजेपी को धमकाते हुए कहा कि नीतीश कुमार के खिलाफ जो बोलेगा उसका अंगूली काट लेगे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी परोक्ष रूप से जेडीयू के नोताओं को अपना आर्शीवाद दिए हुए है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता महेश्वर यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पीएम उम्मीदवार बता दिया। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी से देश नहीं संभलने तक की बात कर दी। यह बात बीजेपी को नगवार गुजरी अब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने दलितों पर अल्पसंख्यकों द्वारा हमले का मुद्दा उठा दिया उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस दलितों को सुरक्षा नहीं दे रही है। उनकी बात का समर्थन मंत्री जनक राम ने भी की है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि जमुई में चंद्रयान, मोतिहारी के ढाका और रामगढ़वा , पूर्णियां में बायसी और गोपालगंज के कुचायकोट में दलितों को अल्पसंख्यकों ने प्रताड़ित किया है। जमुई और गोपालगंज में मतांतर कर निकाह करने का मामला है।
जबकि पूर्णियां के बायसी में अल्पसंख्यकों द्वारा दलितों के घरों को जलाने का मामला है। हांलाकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधि व्यवस्था की समीक्षा के दौरान जिलों के डीएम और एसपी को फटकार लगाते हुए कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया ।
बीजेपी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दवाब में लेना चाहती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हम पार्टी के अध्यक्ष जीतनराम मांझी का इस्तेमाल बीजेपी को कंट्रोल करते रहे है। इसलिए हम अध्यक्ष जीतन राम मांझी प्रधानमंत्री पर हमलवार होते रहते है। सब खेल सरकार पर पावर कंट्रोल का है। लेकिन राजनीति में माहिर खिलाड़ी नीतीश बीजेपी के काबू में नहीं आ रहे है। बीजेपी का मानना है कि किसी तरह मौनी बाबा को गुस्सा दिला दे कि वे बैकफुट पर आकर मुख्यमंत्री की कुर्सी बीजेपी को सौप दे या फिर उनके इशारों पर नाचे। फिलहाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौन होकर बीजेपी के खेल पर नजर बनाए है।