5 साल से उल्टी की समस्या से परेशान एक 27 साल के युवक को IGIMS के डॉक्टरों ने नई जिंदगी दी है। कई बड़े शहरों में इलाज कराया लेकिन बीमारी पकड़ में नहीं आई। IGIMS में जब जांच हुई तो बहुत देर हो चुकी थी। पैन्क्रियाज के बीच में कैंसर की गांठ से ऑपरेशन में मरीज की मौत का खतरा था, लेकिन सर्जिकल गस्ट्रो इंटरोलॉजी विभाग के 6 डॉक्टरों की टीम ने मरीज की जान बचा ली है। 4 घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद मरीज को नई जिंदगी दी गई है।
5 साल में पकड़ में नहीं आया मर्ज
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि 27 साल के नरेश को पेट दर्द के साथ उल्टी की समस्या थी। वह पिछले पांच साल से परेशान था। कुछ भी खातरा पीता था उसे उल्टी की समस्या हो जाती थी। पांच साल से परेशान नरेश कई डॉक्टरों से दिखाया लेकिन कोई भी बीमारी को नहीं पकड़ पाया। समय के साथ समस्या भी बढ़ती गई।

कई बड़े मेडिकल संस्थानों में इलाज से निराश नरेश जब IGIMS के सर्जिकल गस्ट्रो इंटरोलॉजी विभाग की OPD में उपचार के लिए आया तो डॉक्टरों ने जांच में पकड़ लिया कि मामला पैन्क्रियाटायटीस बीमारी से जुड़ा हुआ है। डॉक्टरों ने बीमारी की जड़ तक पहुंचने के लिए गहन परीक्षण किया। इसके साथ ही 5 साल पुरानी गंभीर बीमारी किस स्टेज में है यह पता लगाने के लिए संस्थान में ही कई और जांच कराई गई।

ऑपरेशन में था मरीज की मौत का खतरा
सर्जिकल गस्ट्रो इंटरोलॉजी विभाग की OPD में लक्षण और जांच से पता चला कि क्रॉनिक पैन्क्रियाटायटीस बीमारी से नरेश ग्रसित हैं। CT स्कैन की जांच में मरीज के पैन्क्रियाज के मध्य भाग में कैंसर की गांठ का भी पता चला। यह काफी असामान्य और जटिल स्थिति होती है, जिसमें क्रोनिक पैन्क्रियाटायटीस बिमारी में पैन्क्रियाज में कैंसर बनने लगता है। इस ट्यूमर का आंत, पेट और लीवर की मुख्य खून की नलियों से जकड़े होने का शक था। जिसकी वजह से ऑपरेशन के दौरान मरीज की मौत का भी खतरा था।

4 घंटे में 6 डॉक्टरों ने निकाल दी 5 साल की बीमारी
IGIMS के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल का कहना है कि को सर्जिकल गस्ट्रो इंटरोलॉजी विभाग द्वारा पैन्क्रियाज के मध्य भाग के ट्यूमर का ऑपरेशन किया गया। नरेश कुमार चौधरी अब पूरी तरह से ठीक है। खतरा था फिर IGIMS के सर्जिकल गैस्ट्रो के डॉक्टर की टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को चुनौती के रूप में करने का निर्णय लिया। ऑपरेशन में पैन्क्रियाज के बीच में स्थित ट्यूमर को खून की नलियों को बचाते हुए सावधानी से निकाला गया और शेष बचे पैन्क्रियाज को फिर आंतों से जोड़ दिया गया।
इस जटिल ऑपरेशन को डॉ. राकेश कुमार सिंह ने लीड किया। इस दौरान उनकी टीम में शामिल डॉ. निशांत कुर्रियन और डॉ. हरिशंकर की भूमिका अहम रही। निश्चेतना (एनीस्थिया) विभाग के डॉ मुमताज और नर्सिग स्टाफ सिस्टर वीणा ने ऑपरेशन की सफलता में अहम रोल निभाया। डॉ़ राकेश कुमार सिंह ने बताया कि मरीज अब बिल्कुल ठीक है, बहुत जल्द ही उसे अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है। संस्थान के निदेशक डॉ एन आर विश्वास ने डॉक्टर और उनकी पूरी टीम को सराहनीय ऑपरेशन के लिए बधाई दी है।
