चौचक चर्चा !
गजब भयो रामा.. जुलुम भयो रे. कुछ ऐसा ही लग रहा है इस बार के बिहार पंचायत चुनाव में. जहां ताल ठोकने के लिए शराब माफिया और शराब के सौदागर तैयार हैं. चुनावी लंगोटी कस चुकी है. मैदान में शराब माफिया ताल ठोक रहे हैं. आपके समाज का पांच साल का भविष्य दांव पर है. हैरान परेशान मत होइए इस बार मुजफ्फरपुर जिले में 85 शराब माफिया कूद पड़े हैं.

चाय दुकानों पर चौचक चर्चा चल रही है कि ये शराब माफिया शराबबंदी के बाद शराब से हुई काली कमाई से जनप्रतिनिधि बनने जा रहे हैं. इनके सक्रिय होने से पूर्व के मुखिया, सरपंच और जिला परिषद अध्यक्ष और सदस्यों की नींद हराम हो गई है. अब दूसरी खबर भी चर्चा में है कि जिले के पुलिस कप्तान ने ऐसे माफियाओं को चिह्नित कर उन्हें जेल भेजने की तैयारी शुरू कर दी है. लिस्ट तैयार है. चुनाव से पहले उनकी संपति जब्त करने से लेकर उनपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. हाल में हथौड़ी से एक शराब माफिया की गिरफ्तारी इस बात का संकेत है कि प्रशासन नकेल कसने चल पड़ा है काहे कि शराब माफिया इस बार पत्नी को मुखिया पद का प्रत्याशी बनाने वाला था.

अब आपको चौचक चर्चा की खबर में बता दें कि मीडिया रिपोर्ट बता रही है कि मोतीपुर, सरैया, साहेबगंज जैसे इलाके में 17 शराब माफिया चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं. मीनापुर, कटरा, सकरा और औराई का भी यही हाल है. शराब के सौदागरों के जनप्रतिनिधि बन जाने के बाद स्थिति कितनी भयावह होगी, उसका अंदाजा आप लगा सकते हैं. शराबबंदी के बाद कितने पंचायत भवन और स्कूलों में शराब की पेटियां पकड़ी गईं और कहीं ना कहीं इन स्थानों पर कब्जा स्थानीय जनप्रतिनिधि का होता है. शराब माफिया को चुनाव जीतने के बाद कानून से सिक्यूरिटी मिल जाएगी. फिर खुला खेल शुरू हो जाएगा.

हालांकि, खबर बाहर आने के बाद पुलिस सचेत तो है. पुलिस उन घटनाओं पर भी नजर रख रही है जिसमें शराब माफिया जेल से छूटने के बाद फिर शराब तस्करी करने लगते हैं. इस बार पुलिस उनके जमानतदार पर भी निगाह रखने वाली है. चौचक चर्चा ये कहती है कि कितना भी लगाम लगाईए सबसे पहले अपने आंगन को देखना होगा, जहां कानून व्यवस्था पलती है. उस आंगन में आप सफाई कीजिए शराब माफिया खुद ब खुद साफ हो जाएंगे.