बेतिया : दोन घाटी से लेकर दियारा तक पहुंच रही कोविड की संजीवनी 

दोन घाटी से लेकर दियारा तक पहुंच रही कोविड की संजीवनी 

  • रामनगर, चनपटिया सहित कई दुर्गम ईलाकों तक हो रहा वैक्सीनेशन कार्य
  • रामनगर के दोन घाटी में 30 प्रतिशत लोगों को लगा प्रथम डोज का टीका 

बेतिया, 10 अगस्त। 
पहाड़ के बीच बसे दर्रे हो या बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का दियारा। स्वास्थ्य विभाग सभी जगहों पर सजग और सतर्क दिख रही है। तभी तो चनपटिया हो या रामनगर जिले के सभी दुर्गम ईलाकों में कोविड वैक्सीनेशन का कार्य तेजी से होता दिखाई देता है। कोविड टीकाकरण में जितना ध्यान शहरी क्षेत्रों में दिया जा रहा है टीकों की पहुंच ग्रामीण ईलाकों में भी विभाग उतनी ही तत्परता से कर रही है। 

छह महीने बंद रहता है रामनगर का दर्रा
डीआइओ डॉ अवधेश कुमार सिंह कहते हैं कि रामनगर के कुछ हिस्से ऊंची पहाड़ियों पर बसे हैं यहां के रास्ते छह महीने बंद रहते हैं। वहीं यहां पहुंचना भी मुश्किल है। ऐसे में भी हमारे स्वास्थ्यकर्मी और एएनएम वहां जाकर टीकाकरण का कार्य कर रहे हैं ताकि लोग कोविड से सुरक्षित और भयमुक्त रहें। यहां पर प्रथम डोज के लगभग 30 प्रतिशत के कार्य को पूरा कर लिया गया है। वहीं काफी तेजी से लोगो में जागरुकता आयी है। लोग टीके के लिए इंतजार करते हैं। थोड़ी बहुत जो भ्रम की स्थिति थी वह अब लोगों के मन से निकल चुकी है।
 
नदी पार कर पहुंच रही वैक्सीनेशन टीम
डीआइओ डॉ अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि चनपटिया के नोनियावां टोला में बीएचएम और एएनएम दियारा क्षेत्रों में अपनी पहुंच बना रही है। यह क्षेत्र कुछ समय पहले तक बाढ़ में डूबा हुआ था। यह भी वर्ष के तीन महीने बंद रहता है। आने जाने में यहा सालों परेशानी होती है। बावजूद इसके हमारी टीम नाव से पार कर वहां जाती है और टीकाकरण का कार्य करती है।
 
दोनों डोज है जरूरी
डीआइओ डॉ अवधेश कुमार सिंह कहते हैं कि कोविड टीकाकरण का एक डोज बिना दूसरे के अधूरा है। अगर हम कोविशिल्ड लगवा रहे हैं तो 84 दिन बाद से 4 महीने के भीतर दूसरा डोज अवश्य लगवा लेना चाहिए। तभी हम पूर्ण रुप से टीकाकृत हो पाएगें।

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