पूर्णिया : पहले कहा दुष्कर्म किया, फिर कहा दुष्कर्म नहीं हुआ। बहकावे में आकार केस कर दिया। ऐसा कहकर पीड़िता का खुद के बयान से मुकरना कोर्ट को नागवार लगा। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि न्यायालय का कीमती वक्त बर्बाद करने एवं सरकारी संसाधनों का दुरूपयोग करने को लेकर पीड़िता और उसकी मां पर मुकदमा चलेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे ही पक्षकारों के कारण वास्तविक न्याय पाने वालों न्याय मिलने में देरी होती है और न्यायालय झूठे मुकदमों के बोझ तले दबी रहती है। ऐसे झूठे शिकायतकर्ता को सबक सिखाना भी न्यायपालिका दायित्व है।

इस कड़ी टिप्पणी के बाद कोर्ट ने रेप केस की तथाकथित पीड़िता और सूचिका बनी उसकी मां के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने का निर्देश जारी किया। वहीं मामले के आरोपित युवक को साक्ष्य के आभाव में बाइज्जत बरी कर दिया। इस झूठे मुकदमे की वजह से आरोपी युवक को एक साल ढाई महीने तक जेल में रहना पड़ा। यह पॉक्सो अधिनियम जैसे कड़े प्रावधान का दुरूपयोग है।

जिले के रूपौली थाना में 16.03.2019 को दुष्कर्म का केस दर्ज किया गया था। इसमें नाबालिग पीड़िता की मां ने कहा कि उसकी बेटी रात आठ बजे शौच के लिए गई तो लौटकर घर वापस नहीं आयी।

खोजबीन में पता चला कि आरोपित युवक अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर बहला-फुसलाकर शादी की नियत से उसका अपहरण कर लिया। मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपित युवक के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया।

आरोप गठन होने के बाद मुकदमें का ट्रायल शुरू हुआ। इस दौरान पीड़िता, उसकी मां, डॉक्टर एवं अनुसंधानकर्ता समेत सात लोगों की गवाही कलमबंद की गई। इसमें पीड़िता की मां ने कहा कि उसने लोगों के बहकावे में आकर केस कर दिया। वह आरोपित युवक को पहचनाती भी नहीं है।

कोर्ट में गवाही देने के पूर्व पीड़िता ने स्पष्ट कहा था कि शादी का प्रलोभन देकर आरोपित युवक ने गलत संबंध बनाए थे। लेकिन कोर्ट में पीड़िता के मुकरने के बाद आरोपित युवक को ना केवल जमानत मिली बल्कि उसे केस से बरी भी कर दिया गया है।
