मुजफ्फरपुर। आय से अधिक सम्पत्ति रखने के मामले में आए दिन का’र्रवाई की जा रही है। इसी कड़ी में एक मामला फिर से प्रकाश में आया है। बताया जा रहा है कि जिले के दस पंचायत सचिवों ने अलग-अलग योजनाओं के ढाई करोड़ रुपए का ग’बन कर लिया है।
सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि विभागीय जांच में ग’बन की पुष्टि होने के बाद भी जिला पंचायती राज प्रशाखा में वर्षो से फाइल धूल फांकता रहा। डीएम प्रणव कुमार ने पिछले दिनों जिला पंचायती राज पदाधिकारी सुषमा कुमारी के निरीक्षण के बाद फाइलें खुली तो गबन के मामले सामने आया।
करीब एक दर्जन और पंचायत सचिवों की कुंडली खंगाली जा रही है। माना जा रहा है कि गबन की राशि पांच से सात करोड़ रुपये तक जा सकती है।
बताया जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ राहत, डीजल अनुदान, 14 वें वित्त की राशि के वितरण समेत धान अधिप्राप्ति की राशि का गबन किया गया था।
जिले के 23 पंचायत सचिवों पर विभिन्न मामलों को लेकर विभागीय कार्यवाही शुरू की गई। वर्ष 2016 से लेकर 2020 तक की विभागीय कार्यवाही में इसकी जांच की गई। इसमें 10 पंचायत सचिवों पर दो करोड़ 51 लाख रुपये के गबन की पुष्टि की गई।
पंचायत सचिवों द्वारा राशि गबन किए जाने की पुष्टि कई वर्ष पहले हो चुकी थी, मगर इसे दबा दिया गया था। इससे पूर्व के पदाधिकारी की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
आखिर इतनी बड़ी राशि के गबन के बाद एक भी पंचायत सचिव पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। डीएम के निरीक्षण में फाइलें खंगाली गईं तो यह सच सामने आ गया। जिला पंचायती राज पदाधिकारी सुषमा कुमारी के अनुसार गबन करने वाले पंचायत सचिवों के खिलाफ कार्रवाई के साथ राशि की वसूली भी कराई जाएगी। वहीं गबन के दोषियों को एसीपी का लाभ भी नहीं मिलेगा। जो साफ-सुथरे हैं उन्हें यह लाभ दिया जाएगा।
