भारतीय संविधान में किशोर की ओर से होने वाले अपराध के लिए अलग दं’ड व्यवस्था है। इसमें अधिकतम जोर है कि ना’बालिग को सुधरने का हर संभव मौका दिया जाए। कि’शोरों से संबंधित संगीन मामलों में भी न्यायालय के कई फैसले नजीर बन गए हैं।

ऐसा ही एक फैसला गोपालगंज से आया है। यहां किशोर न्यायालय के प्रधान मजिस्ट्रेट राकेश मणि तिवारी व सदस्य ममता श्रीवास्तव ने एक किशोर को अनोखी सजा सुनाई है। उसे अपने गांव के निकट के मध्य विद्यालय में बच्चों को तीन माह तक पढ़ाना होगा। इस कि’शोर पर लगे आरोपों को जानकर आप ताज्जुब करेंगे।

स्कूल के प्रधानाध्यापक को किशोर पर नजर रखने का जिम्मा दिया गया है। उन्हें तीन माह बाद अपनी रिपोर्ट किशोर न्यायालय देनी होगी कि किशोर ने कोर्ट के आदेश का शत- प्रतिशत अनुपालन किया अथवा नहीं। प्रधानाध्यापक की रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय आगे की सुनवाई का रुख तय करेगा। इस कि’शोर को सु’धरने का बड़ा मौका न्यायालय ने दे दिया है।

