भागलपुर ब्ला’स्ट में 14 लोगों की मौ’त हो चुकी है। 4 परिवार के सपनों के घर ज’मींदोज हो गए। घटना के 30 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस अभी तक यह उ’लझन सु’लझाने में लगी है कि ये पटाखा बनाने के दौरान हुआ हा’दसा है या यहां ब’म बनाने का धं’धा चल रहा था। इस हा’दसे के केंद्र में लीलावती का नाम सामने आया है।

55 साल की यह महिला भागलपुर के काजवली चक में पिछले 20 साल से बारूद के अ’वैध का’रोबार में जुटी थी। उसका सालाना लाखों का टर्न ओवर था। उसके अ’वैध का’रोबार में उसकी दो बेटियां आरती और पिंकी भी उसका साथ देतीं थीं। हालांकि ब्ला’स्ट में पूरा परिवार मौ’त के गाल में समा गया। इसमें लीलावती, उसकी छोटी बेटी आरती, बड़ी बेटी के साथ दो मासूम बच्चे प्रियांशु और अयांश की मौ’त हो गई।

स्थानीय महिला सुशीला देवी ने बताया कि लीलावती की पति की मौत लगभग 25 साल पहले ही हो गई थी। इसके बाद वह बेटी को लेकर अकेले ही रहती थी। धंधे में परेशानी हुई तो दो बच्चे होने के बाद उसने अपनी बड़ी बेटी को पति से अलग करवा दिया। छोटी बेटी की अभी हाल ही में शादी ही हुई थी। सभी साथ रहकर धंधा संभाल रहे थे।

लीलावती बा’रूद के धंधे से पहले को’यले का अ’वैध का’रोबार किया करती थी। वो अ’वैध तरीके से कच्चा को’यला साइकिल से मंगवाती थी और उसे बाजार में बेचती थी। लगभग 20 साल पहले उसने को’यले के रास्ते बा’रूद के अ’वैध कारोबार में एंट्री की थी। उसने बिना ला’इसेंस के प”टाखा बनाने के काम से इसकी शुरुआत की थी।

स्थानीय लोगों की माने तो अभी भी लीलावती 10 महीने बारूद का अ’वैध कारोबार करती थी और 2 महीने तक कोयले का धंधा संभालती थी।

इसमें वो बाहरी लोगों की मदद लेने के बजाय अपनी बेटियों पर भरोसा करती थी। जब मार्केट में डिमांड बढ़ती थी तो वो स्थानीय युवाओं को हायर करती थी। इसके लिए वो उसे बाजार की दर से कहीं ज्यादा भुगतान का ला’लच देती थी ताकि घर के अंदर का राज बाहर ना जा सके।

काजवली चक मोहल्ले के रहने वाले राज ने बताया कि लोगों ने कई बार उसके इस अवैध कारोबार की शि’कायत पुलिस से की। लेकिन उस पर आज तक कभी कोई बड़ी का’र्रवाई नहीं हुई। पुलिस के रेड की सू’चना उसे पहले मिल जाती थी वो घर से सारा सामान बाहर निकाल देती। बाद में वो मोहल्ले के लोगों को खूब प्र’ताड़ित करती थी। इसके कारण लोग अब उसके खि’लाफ शि’कायत करने से भी बचते थे।