बिहार : राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बिहार में भूजल प्रदूषण की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और छह हफ्ते के भीतर रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने यह संज्ञान एक मीडिया रिपोर्ट पर लिया है, जिसमें आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के हवाले कहा गया था कि राज्य के 38 में से 31 जिलों का भूजल अत्यंत प्रदूषित है।

इनमें आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की अत्यधिक मात्रा है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे पैदा कर सकते हैं। साथ ही जिगर और गुर्दे से संंबंधित समस्याएं भी हो सकती हैैं। रिपोर्ट के मुताबिक इन सभी जिलों के खासकर ग्रामीण इलाके ज्यादा प्रभावित हैं।

आयोग ने कहा है कि अगर यह रिपोर्ट सही है तो मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मामला है। इसके लिए आयोग की ओर से मुख्य सचिव, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग एवं राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी भूजल के रैंडम सैंपलिंग कर रिपोर्ट मांगी गई है। साथ ही निर्देश दिया है कि उक्त जिलों में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने के लिए किए गए सुरक्षा उपायों और हर घर नल का जल योजना का क्रियान्वयन भी होना चाहिए।

आयोग ने कहा कि रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि 30 हजार 272 वार्ड का भूजल रासायनिक रूप से दूषित है। गंगा किनारे के 14 जिलों के चार हजार 742 ग्रामीण वार्ड विशेष रूप से आर्सेनिक प्रभावित हैैं।

11 जिलों के 3791 वार्ड फ्लोराइड से प्रभावित हैं तथा कोसी बेसिन के नौ जिले एवं अन्य जिलों के कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक लोहा है।

