मुजफ्फरपुर : बंदरा व औराई के किसानों के लिए होगा तरकारी बाजार, जानें…

मुजफ्फरपुर। सब्जी उत्पादक किसानों को अब ग्राहकों का इंतजार नहीं करना होगा। वहीं सब्जियों की भी बर्बादी नहीं होगी। सहकारिता विभाग द्वारा सब्जी क्रय के लिए प्रखंड प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहकारी समिति लिमिटेड को तरकारी बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है।

पहले चरण में औराई व बंदरा में जमीन का चयन किया गया है। अंचल की ओर से 25 डिसमिल भूमि उपलब्ध कराई गई है। इसपर 50 लाख की लागत से बाजार के साथ कोल्ड स्टोरेज व कार्यालय बनेगा। अगर सब कुछ समय पर हो गया तो बरसात से पहले यहां पर बाजार उपलब्ध हो जाएगा। अभी इन जगह पर सब्जी कलेक्शन सेंटर है। इसके बाद मुरौल, कटरा, कुढऩी व साहेबगंज में बाजार का निर्माण किया जाएगा।

जिले के शेष बचे दस प्रखंडों में जमीन चयन की प्रक्रिया चल रही है तिरहुत सब्जी यूनियन के उपमुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह जिला सहकारिता पदाधिकारी बीरेंद्र शर्मा कहते हैं कि सब्जी उत्पादक किसान को तरकारी बाजार बनने के बाद काफी लाभ मिलेगा। जहां पर क्रय केंद्र चल रहे हैं, उसकी क्रय क्षमता बढ़ जाएगी।

तरकारी डाट काम से जुड़ने के लिए आनलाइन आवेदन करना होता है। 200 रुपये शुल्क देने के बाद सदस्यता रसीद मिल जाती है। निबंधित होने के बाद किसान खुद सब्जी लेकर बिक्री केंद्रों पर आते हैं। सब्जी की मात्रा ज्यादा होने पर समिति के लोग खुद ही वाहन लेकर खेत पर आ जाते हैं। औराई बिक्री केंद्र के प्रबंधक आशीष पासवान ने बताया कि औराई में प्रतिदिन 15 से 20 ङ्क्षक्वटल सब्जी की आवक है। बंदरा में पांच से 10 ङ्क्षक्वटल आवक है।

अगर कोल्ड स्टोरेज बन जाता है तो ज्यादा से ज्यादा सब्जी का क्रय होगा। मुजफ्फरपुर सब्जी फल उत्पादन व विपणन संघ के अध्यक्ष अशोक शर्मा ने बताया कि रखरखाव से सुरक्षा होगी। उसमें हर सब्जी का अलग-अलग तापमान यानी टमाटर व गोभी का अलग-अलग रहता है। एक सप्ताह से 10 दिनों तक सुरक्षित रहेगा। वहां से निकलने के बाद 24 घंटे तक वह सुरक्षित रह सकता है। उसके बाद उसमें से नुकसान होना शुरू होता है।

औराई बैगना के किसान मुकेश पंडित, लाला कुमार व सिमरी के सब्जी उत्पादक किसान वकील सहनी ने बताया कि पहले सब्जी लेकर बाजार में आकर इंतजार करना पड़ता था। जबसे सहकारिता विभाग की ओर से क्रय केंद्र खुला उसके बाद से अब इंतजार का झंझट नहीं। सीधे खेत से केंद्र तक आकर सब्जी दे देना है। दो दिन के अंदर-अंदर नकद राशि खाते में चली जाती है। किसानों की मांग है कि इसका विस्तार पंचायत स्तर पर होना चाहिए।

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