झारखंड से ‘लैला’ हर रोज बिहार में एंट्री लेती है। जं’गली इलाकों से होते हुए बिहार के कई जिलों में पहुंचती है और फिर इसके तलबगार खु’शी के मारे झूम उठते हैं। तय की गई कीमत पर लैला को ख’रीदा जाता है।
इसे अपने साथ ले जाने वाले एक पल के लिए दूसरी दुनिया में चले जाते हैं और फिर इसके लिए अगले दिन का इंतजार करते हैं। लैला लोगों को ऐसे म’दहोश करती है कि कइयों अपनी जान तक गंवा चुके हैं। भागलपुर और बांका में लैला ने कइयों को अपना शिकार बना लिया।
लैला…ये नाम जितना उत्तेजित कर देने वाला है, वैसा ही इसका काम भी है। झारखंड में बनने वाली देसी शराब, जिसे बोतल में कैद किया जाता है। वही है लैला। बिहार में शराबबंदी के बाद झारखंड निर्मित लैला की तस्करी जोरों पर हो रही है।
हर रोज दुर्गम इलाकों से लैला की एंट्री बिहार में करवाई जाती है। लैला की डिमांड बढ़ी तो इसके हमशक्ल बनाए जाने लगे। झारखंड के जंगली इलाकों में नकली लैला बनाए जाने की कई खबरें सामने आ चुकी हैं।
हाल के दिनों में भागलपुर से बड़ी मात्रा में लैला ब्रांड की शराब बरामद की जा चुकी है। नवगछिया में बीते शनिवार को सन्हौला पुलिस ने दो कार व एक बाइक से 90 लीटर देसी लैला शराब की बरामदगी की। नवगछिया से ही 59 बोतल लैला के साथ एक युवक गिरफ्तार किया गया।

5 अप्रैल को भागलपुर के सबौर से 475 बोतल लैला ब्रांड की शराब को बरामद किया गया। लगभग हर रोज लैला पकड़ी जाती है लेकिन आना नहीं छोड़ती।भागलपुर में होली से अबतक 35 से ज्यादा लोगों की सं’देहास्पद मौ’त हुई। वहीं, बांका में हुई मौतें भी किसी से छिपी नहीं हैं।
मृ’तकों के स्वजनों और आसपास के लोगों ने श’राब पीने जैसी बातें कही। चर्चा हुई की ज’हरीली श’राब के चलते ही मौतें हुई। लेकिन सरकारी आंकड़ों में इसका जिक्र नहीं हुआ। हो न हो नकली लैला के पीने से ही लोगों की जान गई होगी। खैर, बिहार में लैला की पूरी तरह नो एंट्री कब तक होती है? ये सवाल बड़ा है।