मुजफ्फरपुर। बोचहां उपचुनाव के बाद सभी प्रमुख दल अपनी जीत का दावा कर रहे है। इस चुनाव में 17 हजार कम वोटिंग होने के कारण रोचक मुकाबला होना माना जा रहा है। इस उपचुनाव में स्थानीय स्तर पर बने नए समीकरण भी असर डाल सकते है। विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का भू-माय समीकरण कितना सफल रहा।
वहीं मुकेश सहनी परिणाम में बदल पाने में क्या वे समक्ष है? वहीं सबसे पहले राजद के माय समीकरण से भाजपा की बेचैनी बढ़ी है। वहीं राजद के जिलाध्यक्ष अपने उम्मीदवार की जीत का दावा कर रहे है। इसमें सभी वर्ग के वोटरों ने समर्थन दिया है। जबकि भाजपा खेमा अपने उम्मीदवार के जीत का दावा कर रहे है। उनका मानना है कि उनके समर्थन शोर नहीं मचाते। विकास को मतदाताओं की मुहर लगी है।
भाजपा जिलाध्यक्ष का कहना है कि मतदाताओं ने पीएम मोदी व सीएम नीतीश के कार्य को अपना समर्थन दिया है। भाजपा उम्मीदवार बेबी कुमार की जीत तय है। इस मुकाबले में शुरू से ही तीसरा कोण बनाती वीआईपी भी दौर से खुद को बाहर नहीं मान रही है। सहनी के आधार वोट के साथ अनुसूचित जाति और पूर्व मंत्री रमई राम के बनाए वोट को जीत का आधार मान रही है। बेटी डॉ.गीता कुमार की जीत को लेकर आश्वस्त रमई राम का मानना है कि उन्होंने क्षेत्र में काम किया। पांच दशकों से जनता की सेवा की थी।
इन दावों के बीच भितरघात का डर भी सभी को है। जिसपर भरोसा किया उसने कितना दिया यह स्पष्ट नहीं हो सका है। कुछ वर्ग के मतदाताओं ने अंत तक चुप्पी साधे रखी। भाजपा इन वोटरों को अपने पक्ष का मान रही। करीब पौने दो लाख वोट चुनाव में पड़े हैं। सीधे तौर पर 70-80 हजार वोट पाने वाले को जीत मिल सकती है।
राजद को पिछले चुनाव में 66 हजार वोट मिले थे। इस बार रमई राम के मिले वोट उसमें से कम हो सकता है। वहीं इसकी भरपाई राजद पासवान और भूमिहार वोट से करने की बात कह रहा है। दूसरी ओर एनडीए को पिछली बार 77 हजार वोट मिले थे। इसमें मुख्य वोट वीआइपी उम्मीदवार के कारण सहनी का था। यह वोट इस बार छिटक गया है।
साथ ही भूमिहार एवं पासवान वोटों में सेंधमारी हुई है। ऐसे में उसे पिछले चुनाव के आंकड़ा तक पहुंचने में वैश्य समाज, कुशवाहा, कुर्मी व अन्य अत्यंत पिछड़ी एवं अनुसूचित जाति के वोट मिलने का दावा है। महिलाओं के अधिकतर वोट को लेकर भी पार्टी नेता अपने पाले का मान रहे। ये भरोसा परिणाम में तब्दली हुआ होगा तभी भाजपा की नैया पार लग सकती है।
