बिहार की महिलाओं का मुख्य परिधान साड़ी है। यहां की 96.4 फीसदी महिलाएं साड़ी पहनती हैं। बिहार देश का पहला राज्य है, जहां साड़ियां महिलाओं का सबसे पसंदीदा पोशाक है। यहां की महिलाएं दूसरे परिधानों की अपेक्षा साड़ी को अधिक तवज्जो देती हैं। इसका खुलासा नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन ने किया है। वर्ष 2017 में घर-घर किए गए सर्वे के अनुसार रिपोर्ट तैयारी की गयी थी, जिसे अब जारी किया गया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में साड़ियों की मांग अधिक
रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 60 फीसदी घरों में साड़ियों की मांग है। देश स्तर पर खादी और तांत की 72, सूती 26 और सिल्क की दो फीसदी साड़ियों का कारोबार होता है, जबकि बिहार में सूती और सिल्क की साड़ियां अधिक बिकती है। सर्वे के अनुसार 2023 तक साड़ी के कारोबार में छह फीसदी ग्रोथ की संभावना जतायी गयी हैं। मांग के लिहाज से दूसरे स्थान पर छत्तीसगढ़ है। यहां 94 फीसदी महिलाएं साड़ी पहनती हैं, जबकि पश्चिम बंगाल तीसरे स्थान पर है। यहां 93.8 फीसदी महिलाओं का यह मुख्य परिधान है।

भारतीय संस्कृति की पहचान साड़ी
भारतीय संस्कृति मे साड़ी को स्त्री के सम्मान, अस्मिता एवं रक्षा का प्रतीक माना गया है। यजुर्वेद में साड़ी शब्द का सबसे पहले उल्लेख मिलता है। दूसरी तरफ ऋग्वेद की संहिता के अनुसार यज्ञ या हवन के समय स्त्री को साड़ी पहनने का विधान भी है। साड़ी विश्व की सबसे लंबी और पुराने परिधानों में एक है. इसकी लंबाई सभी परिधानों से अधिक है।

महाभारत में द्रोपदी चीर हरण के प्रसंग मे भी साड़ी का उल्लेख है। बिहार एक ऐसा प्रदेश है, जहां सभ्यता व संस्कृति की जड़ें इतनी गहरी हैं कि तकनीकी बदलाव के बावजूद हजारों वर्ष पुरानी परंपराएं आज भी जीवित हैंं। यहां की महिलाएं घर में रहें या धार्मिक-पारवारिक उत्सव में शामिल हों तो उनका पसंदीदा परिधान साड़ी ही होता है।

सूरत, मुंबई और बनारस से साड़ियां आती हैं बिहार
शहर के सूतापट्टी कपड़ा मंडी से साड़ियों की सबसे अधिक खपत बिहार में होती है। यहां सूरत, मुंबई और बनारस से साड़ियां आती हैं. यहां से पश्चिचम बंगाल और नेपाल में भी कारोबार होता है, लेकिन सबसे अधिक साड़ियां बिहार में बिकती है।
