दरभंगा। एक बच्ची की ह’त्या के मामले में स्थानीय कोर्ट में पहली बार एक साथ सात महिलाओं को सश्रम आ’जीवन करावास और दस-दस हजार रुपए अर्थदं’ड की स’जा सुनाई गई। नवम अपर सत्र न्यायाधीश संजीव कुमार सिंह की अदालत ने जब सजा सुनाई तो दो’षी महिलाएं द’हाड़ मा’रकर रो’ने लगीं। बाहर में खड़े स्वजन व मासूम बच्चे भी रो’ने लगे। बाद में दो’षियों को जे’ल भेज दिया गया। इसमें हायाघाट थाना क्षेत्र के छतौना निवासी बुच्ची देवी, मुनर देवी, मलभोगिया देवी, सीता देवी, इंदु देवी, चधुरन देवी ओर भुखली देवी हैं। अभियोजन पक्ष से अपर लोक अभियोजक रेणु झा ने 10 गवाहों कि गवाही कराई।
वहीं बचाव पक्ष ने नौ गवाहों की गवाही कराई। अभियोजन पक्ष के प्रस्तुत साक्ष्य को देखने के बाद अदालत ने दफा 302/149 के तहत सश्रम उम्रकै’द व अर्थदं’ड की सजा सुनाई। वहीं दफा 147 में एक वर्ष की सजा दी। अर्थदंड नहीं देने पर एक वर्ष अतिरिक्त कारावास होगा।
गौरतलब है कि हायाघाट थाना क्षेत्र के छतौना निवासी योगेंद्र यादव ने 13 सितंबर 2009 को कांड दर्ज कराया था। इसमें पट्टीदारी की सात महिलाओं को आरोपित किया था। बताया था कि 12 सितंबर 2009 की दोपहर 12 बजे में पुत्री राजवंती पिता और भाई के लिए खाना लेकर दरवाजे पर जा रही थी।
इसी बीच आरोपितों ने राजवंती को घेर लिया। उसे पी’ट-पी’टकर अ’धमरा कर दिया। बे’होशी की हालत में उसे हायाघाट पीएचसी में भर्ती कराया गया। देर शाम में वापस ले आया। सुबह होते ही हालत बिगड़ गई। इसके बाद फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां राजवंती ने द’म तोड़ दिया।

