पटना: मेट्रो की लागत करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपए कम हो गई है. हालांकि इसका असर मेट्रो के एलाइनमेंट और स्टेशनों की संख्या पर नहीं होगा. केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने पटना मेट्रो के अंडरग्राउंड सेक्शन में टनल बनाने की तकनीक में बदलाव का सुझाव दिया, जिसपर नगर विकास विभाग ने सहमति दे दी है.
जवाब भेजे जाने के बाद बदलाव
- नगर विकास विभाग ने केंद्र द्वारा उठाई गई आपत्तियों का जवाब भेजा था.
- उसके बाद यह बदलाव किया गया है.
- नए प्रस्ताव में मेट्रो की लागत घटकर करीब 13,500 करोड़ रुपए हो जाएगी.
राज्य कैबिनेट ने 9 अक्टूबर को पटना मेट्रो की 17887.56 करोड़ की परियोजना को मंजूरी दी थी.
पटना मेट्रो के दो कॉरिडोर को मंजूरी दी गई है, जिसकी कुल लंबाई 31.39 किलोमीटर होगी. ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर की लंबाई 16.94 किलोमीटर और नार्थ-साउथ कॉरिडोर की 14.45 किलोमीटर होगी. इससे पहले 25 सितंबर को मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एसपीवी) के गठन को मंजूरी दी जा चुकी है.
केंद्र ने मांगी थी 41 बिंदु पर रिपोर्ट
- केंद्रीय शहरी आवास एवं विकास मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट.
- पटना मेट्रो की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद राज्य सरकार से 41 बिंदु पर रिपोर्ट मांगी.
- इसमें ट्रांजिट रिएंटेड डेवलपमेंट प्लान (टीआरडीपी)
- वैल्यू कैप्चर फाइनांस टेक्निक (वीसीएफटी) की रिपोर्ट
- यूनिफाइड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (उम्टा) का गठन समेत अन्य आपत्तियां शामिल थीं.
आज आएगी केंद्रीय टीम
केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय की दो सदस्यीय टीम 26 दिसंबर को पटना आएगी. सोनिया अरोड़ा की अध्यक्षता में यह टीम पटना मेट्रो के एलाइनमेंट का अध्ययन करेगी.