बिहार : ब्रिटिश काल की विरासत है ब’दहाल, लोहे के पुल से चो’र काट रहे चांदी

जहानाबाद में ब्रिटिश काल में बने लोहे के पुल का नामोनिशान कुछ दिनों बाद मिट जाएगा। यह पुल कभी इस इलाके के लोगों के लिए लाइफलाइन हुआ करता था। जहानाबाद जिले के घोसी और हुलासगंज प्रखंड के साथ ही नालंदा जिले को जोड़ने का काम यह पुल करता था। अब यहां नया पुल बन गया, जिसकी वजह से इस पुल पर यातायात खत्म हो चुका है।

दरअसल, लोहे के इस पुल की हालत जर्जर होने के बाद विभाग ने इसे अयोग्य घोषित कर दिया और इसकी जगह पर करोड़ों रुपए की लागत से नए पुल का निर्माण कराया गया। अब इस नए पुल से लोग आवागमन कर रहे हैं। इस बीच ब्रिटिश शासन में जिस लोहे के पुल का निर्माण कराया गया था वह विभाग के कर्मचारियों और पदाधिकारियों की उदासीनता का शिकार है। नतीजा है कि इस पुल का लोहा काट-काटकर चोर बेच रहे हैं।

इस पुल के पास रहनेवाले मुथु यादव कहते हैं कि समय रहते इस दिशा में कोई ठोस कारवाई नहीं की गई, तो धीरे-धीरे लोहे के इस पुराने पुल का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। अगर इस विरासत को संभालकर नहीं रखना हो तो इसे विभाग नीलाम कर दे, इसके लोहे से सरकार को लाखों रुपए का राजस्व प्राप्त हो सकता है।

आसपास के ग्रामीणों की मानें, तो हर दिन हो रही लोहे की चोरी में सरकारी कर्मचारी और पदाधिकारी की मिलीभगत है। अगर विभाग द्वारा इसी तरह लापरवाही बरती गई तो वह दिन दूर नहीं जब ब्रिटिश शासनकाल के इस पुल को लोग ढूंढ़ते रह जाएंगे।

बता दें कि कुछ दिन पहले सासाराम जिले में विभाग के कर्मचारी और पदाधिकारियों ने लोहे का एक पुल बेच दिया था। बाद में यह मामला मीडिया की सुर्खियां बना। कहीं ऐसा तो नहीं कि जहानाबाद में भी विभाग के पदाधिकारी और कर्मचारी ऐसा ही कोई प्लान कर रहे हों और फिलहाल इस पुल को साजिश के तहत उपेक्षित छोड़ा गया है।

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