पटना। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर राजनीति में जाना-पहचाना नाम है। हाल ही में उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। अब वे खुद बिहार से सक्रिय राजनीति में एंट्री के लिए तैयार है।
बिहार के बक्सर में पले-बढ़े व हैदराबाद में उच्च शिक्षा प्राप्त पीके का कद वर्तमान प्रधानमंत्री एवं तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी से एक मुलाकात ने बदल दी।
उसके बाद उनकी जिंदगी में संयुक्त राष्ट्र संघ की नौकरी छोड़ राजनीतिक सलाहकार बनने का जो टर्न आया, उसमें उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। नरेंद्र मोदी के बाद उन्होंने उस दौर में उनके विरोधी रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भी काम किया।
प्रशांत किशोर के चुनावी रणनीतिकार बनने के पीछे की कहानी रोचक है। यूएन में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने भारत के समृद्ध उच्च विकास वाले राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा व कर्नाटक में कुपोषण पर एक शोध पत्र लिखा था। इसमें गुजरात सबसे नीचे था।
इसे पढ़ने के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशांत किशोर को फोन कर उनसे गुजरात के लिए काम करने का आग्रह किया। यह प्रशांत किशोर की नरेंद्र मोदी से पहली बातचीत थी।
