मुजफ्फरपुर : सफेद हाथी हैं सरकारी एंबुलेंस, बच्चों की सांस टू’टती रहती हैं और इधर तेल खत्म!

एईएस से जंग जीतने की राह में एंबुलेंस में चल रहा तेल का खेल बड़ी बाधा बन रहा है। इमरजेंसी में मरीज काे अस्पताल पहुंचाने के लिए काॅल आने पर ऐन वक्त एंबुलेंस में तेल खत्म हाे जा रहा है। ऐसी स्थिति तब है, जब स्वास्थ्य विभाग एजेंसी काे एक एंबुलेंस के लिए 90 हजार रुपए मासिक किराया दे रहा है।

एंबुलेंस ड्राइवर समय पर तेल नहीं मिलने की बात कह बीमार बच्चों काे अस्पताल पहुंचाने से मना कर दे रहे। स्वास्थ्य विभाग ने जिले में एंबुलेंस संचालन का जिम्मा पटना की एजेंसी पशुपतिनाथ डिस्ट्रीब्यूटर और सम्मान फाउंडेशन को दे रखा है।

पटना में ही एजेंसी का कॉल सेंटर है। जरूरत पड़ने पर 102 नंबर पर लाेग जब कॉल करते हैं, तब पटना से एंबुलेंस चालक के मोबाइल पर वापस फोन मुजफ्फरपुर आता है। फिर 45 से 60 मिनट बाद वह एंबुलेंस लेकर पहुंचता है। फिर डीजल खत्म होने की बात कह एंबुलेंस ड्राइवर अस्पताल जाने से मना कर देते हैं। डीपीएम, सिविल सर्जन, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक, मड़वन और मोतीपुर पीएचसी के प्रभारी रेफर मरीज को अस्पताल नहीं पहुंचाने की शिकायत राज्य स्वास्थ्य समिति से भी की जा चुकी है।

उल्लेखनीय है कि जिले में 61 एंबुलेंस में 16 खटारा हाे चुके हैं। विभिन्न पीएचसी में संचालित ये एंबुलेंस 4 लाख किलोमीटर चल चुके हैं। रोजाना मरम्मत और रखरखाव जरूरी है। 6 एंबुलेंस मेंटेनेंस के नाम पर हमेशा गैरेज में ही रहते।

विडंबना देखिए

सरकार एक एंबुलेंस के लिए हर माह 90,000 रुपए का करती है भुगतान, कहने काे 61 एंबुलेंस, पर ज्यादातर खटारा

पटना में कंट्रोल रूम से काॅल आने के बाद भी चालक डीजल नहीं हाेने का बनाते हैं बहाना
केस- 1

मोतीपुर में 3 एंबुलेंस हैं। 19 अप्रैल काे एईएस के एक गंभीर मरीज काे एसकेएमसीएच रेफर किया गया। प्रभारी ने एंबुलेंस चालक से बच्चे काे ले जाने काे कहा। चालक ने एंबुलेंस में डीजल नहीं हाेने की बात कह जाने से मना कर दिया। प्रभारी ने रोगी को दूसरी व्यवस्था कर भेजा। सिविल सर्जन और डीपीएम से इसकी शिकायत की।

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