पटना। विश्वेश्वरैया भवन में हुई अ’गलगी के बाद पुन: कुछ दिनों तक सरकारी भवनों की फायर सेफ्टी आडिट की बात चलेगी। वैसे सरकारी भवनों के फायर सेफ्टी आडिट को ले हाल के दिनों में काफी काम भी हुए हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इसके लिए गाइडलाइन भी बनाई है।
इसी गाइडलाइन के अनुसार सरकारी भवनों की फायर सेफ्टी आडिट होती है। यह आडिट रिपोर्ट संबंधित महकमे में किसके पास है, यह किसी को पता नहीं। यहां तक कि फायर सेफ्टी आडिट रिपोर्ट राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को भी नहीं भेजी जाती, ताकि संबंधित महकमे को अलर्ट किया जा सके।
सरकारी भवनों में फायर सेफ्टी आडिट रिपोर्ट बस एक औपचारिकता रह गई है। इसपर गं’भीरता से अमल नहीं होता। एक फारमेट में यह लिख दिया जाता है कि किसी भवन में अ’गलगी की घटना के बाद निकलने के कितने रास्ते हैैं। दफ्तर में एसी की संख्या कितनी है।
सीढ़ियों से बिजली के कनेक्शन वाली जगह की दूरी क्या है। यह देखा ही नहीं जाता कि संबंधित भवन में अग्निशमन के लगे यंत्र की आखिरी बार जांच कब हुई थी। जांच के बाद रिपोर्ट किस प्रशाखा को आई और उक्त प्रशाखा के अधिकारी ने उक्त रिपोर्ट को कहां-कहां आगे बढ़ाया, इसकी कोई जवाबदेही नहीं है।
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष यूके मिश्रा का कहना है कि अ’गलगी की घ’टना से बचाव को ले माक ड्रील भी होता रहता है। सबसे बड़ी बात है कि सरकारी भवनों में काम कर रहे लोगों को खुद भी इसके लिए गंभीर रहना होगा। किसी घटना के बाद लोग कुछ दिनों तक अलर्ट तो रहते हैं पर बाद में स्थिति यथावत हो जाती है।

